‘राजनीतिज्ञ या तो भगवान से डरते हैं या फिर TN Seshan से’

TN Seshan: ये बात भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन के लिए कही जाती थी। उनका खौफ ऐसा था कि बड़े-बड़े नेता तक उनसे कोई बात कहने से डरते थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को तो उन्होंने कई बार दो टूक अपनी बात कही थी। उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘Through the broken glass’ में ये कहा है कि मुझे प्रधानमंत्री इंदिरा ने बुलाकर कहा कि आप इतने आक्रामक क्यों है? मैंने कहा अगर मुझे कोई काम दिया जाता है तो मैं आक्रामक होकर काम करता हूं।

फिर प्रधानमंत्री इंदिरा ने फि मुझसे पूछा आप लोगों को धमकाते हैं? मैंने कहा अगर समय पर कोई काम नहीं होता तो लोगों से मेरे व्यवहार खराब हो जाते हैं।  

TN Seshan के किस्से भारतीय नेताओं से ज्यादा मशहूर हैं। एक बार क़ानून मंत्री विजय भास्कर रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के सामने पूछा “शेषन आप सहयोग नहीं कर रहे हैं, शेषन ने जवाब दिया, मैं कोई कोऑपरेटिव सोसाइटी नहीं हूँ। मैं चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व करता हूँ।”

केरल के पलक्कड़ जिले में जन्में शेषन 12 दिसंबर, 1990 को भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त बनें। उनके दौर को भारतीय चुनाव के सुधारों का स्वर्णिम काल कहा जाता है। आज जो आप वोटर आईडी कार्ड देखते हैं न जिसमें आपकी फोटो लगी होती है। ये शेषन ने ही शुरू करवाया था। बात 1993 की है, जब आम चुनाव से पहले TN Seshan ने 2 अगस्त 1993 को एक 17 पेज का आदेश जारी किया, जिसमें इस बात का जिक्र था कि जब तक सरकार चुनाव आयोग की शक्तियों को मान्यता नहीं देती, तब तक देश में कोई चुनाव नहीं होगा।

शेषन की इस जिद का नतीजा काफी गंभीर निकला। इसकी वजह से पश्चिम बंगाल की राज्यसभा सीट पर चुनाव नहीं हो सका और केंद्रीय मंत्री प्रणव मुखर्जी को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा। इस बात से पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु इतने नाराज़ हुए कि उन्होंने शेषन को ‘पागल कुत्ता’ तक कह दिया। शेषन को पीठ पीछे उनसे परेशान रहने वाले लोग ‘अलसेशियन’ कहते थे। बता दें कि ये कुत्ते की एक प्रजाति का नाम है।

खैर शेषन की मांगो की वजह से ही चुनाव सुव्यवस्थिति हुए और चुनावी व्यवस्था में पारदर्शिता आई।

ऐसा नहीं है कि शेषन सिर्फ शानदार नौकरशाह ही थे, शेषन अपने दायित्वों को लेकर जितने दृढ़ संकल्पी थे उतनी ही चुनौतियों का सामना करने वाले भी थे। चेन्नई में यातायात आयुक्त के रूप में काम करने के दौरान एक ड्राइवर ने शेषन से पूछ लिया, अगर आपको ड्राइविंग और बस इंजन की जानकारी नहीं है, तो ड्राइवरों की समस्या का हल आप कैसे कर सकते हैं।

TN Seshan ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और बस चलानी सीखी। यही नहीं वो बसों के बारे में जानकारी रखने के लिए वर्कशॉप पर काम करते थे। ऐसा पहली बार हुआ जब एक एडमिनिसट्रेटर किसी वर्कशॉप में मजदूरों के साथ घंटों समय बिताते थे। शेषन समय के पाबंद थे वो खुद तो कभी लेट नहीं होते और उनके दफ्तर में लेट आने वालों की शामत आती थी। इसी तरह शेषन को साफ-सफाई भी पसंद थी।

उनके कार्यकाल में निष्पक्ष चुनावों के लिए नियमों का सख्ती से पालन किया गया। बूथ कैप्चरिंग के लिए बिहार का नाम बेहद खराब था, ऐसे में उन्होंने ही बिहार में पहली बार कई चरणों में चुनाव कराया। साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था “ज़मीनी स्थिति ख़तरनाक है, अब तक कई सीईसी रहे हैं, मगर टीएन शेषन जैसा कोई कभी-कभार ही होता है। हम नहीं चाहते कि कोई उन्हें ध्वस्त करे।

तीन लोगों के नाज़ुक कंधों पर बड़ी शक्ति निहित है। हमें सीईसी के पद के लिए सबसे अच्छा व्यक्ति खोजना होगा।” ये सुप्रीम कोर्ट के सिर्फ शब्द नहीं बल्कि शेषन के प्रति सच्ची और समर्पित स्मृति थी। जो ये दर्शाती है कि कैसे एक नौकरशाह ने अपने दायित्वों का पालन करने के लिए निर्भिक रहकर सच्चे लोकतंत्र की सुरक्षा में पूरी तरह से खुद को समर्पित कर दिया। आप हमें कमेंट बॉक्स में ये बताएं कि टीएन शेषन का पूरा नाम क्या हैं और विडियो लाइक शेयर जरूर करें।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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