Election Manifesto:लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) की शुरूआत हो चुकी है। जल्द ही मतदान की तारीख भी आ जाएगी। इसके लिए सभी चुनावी पार्टियां जी तोड़ मेहनत कर रही है। लोगों से मिलना, वादे करना और चुनाव जीतने के बाद उन वादों पर अमल करने की बात हर राजनीतिक पार्टी कर रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं इन वादों का लिखित वर्जन ही कहलाता है घोषणा पत्र जिसे अंग्रेजी में इलेक्शन मेनिफेस्टो कहते हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (SC) ने इलेक्शन मेनीफेस्टो को लेकर कुछ जरूरी बातें कहीं हैं इसके अलावा चुनाव आयोग (ECI) ने भी चुनावी घोषणापत्रों को लेकर कुछ गाइडलाइन जारी की है। जानते हैं क्या है ये जरूरी गाइडलाइन और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश…
घोषणा पत्र के बारे में
इसे अगर किताबी भाषा में समझें तो, संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देश में देशों में राजनैतिक दल चुनाव से पहले अपना घोषणापत्र प्रस्तुत करते हैं। इन घोषणापत्रों (Election Manifesto) में इस बात का जिक्र होता है, कि अगर कैंडिडेट या उनकी पार्टी चुनाव जीतती है तो नियम-कानूनों एवं नीतियों में किस तरह का परिवर्तन किया जाएगा। बता दें कि घोषणापत्र पार्टियों की रणनीतिक दिशा तय करती है। इसीलिए सभी राजनीतिक पार्टियां अपना चुनावी घोषणा पत्र लेकर आती हैं।
कैसे बनता है घोषणा पत्र?
घोषणा पत्र (Election Manifesto) के लिए सभी दल एक विशेष टीम बनाते हैं। ये टीम पार्टियों की नीति और जनता की मांग के अनुरूप मुद्दों को चयन कर पार्टी पदाधिकारियों से चर्चा करती है। फिर आर्थिक, सामाजिक एवं दूसरे मुद्दों को लेकर नीतियां तैयार की जाती हैं और इसे घोषणा पत्र के रूप में पेश किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

सुप्रीम कोर्ट (SC) ने 5 जुलाई 2013 को एस. सुब्रमण्यम बालाजी VS तमिलनाडु सरकार और अन्य के मामले में फैसला सुनाते हुए चुनाव आयोग को ये निर्देश दिए थे कि, चुनाव आयोग सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के परामर्श से चुनावी घोषणापत्र के संबंध में दिशा-निर्देश तैयार करें। कोर्ट ने निर्देश देते हुए कुछ जरूरी बातें कही थी जिसके मुताबिक-
“चुनाव आयोग ये निर्देश जारी करे कि, चुनाव में लड़ने वाले दलों और उम्मीदवारों के बीच समान अवसर सुनिश्चित हो। साथ ही चुनाव आयोग (ECI) यह भी देखे कि चुनाव प्रक्रिया की शुचिता खराब न हो। घोषणापत्र (Election Manifesto) को लेकर निर्देश जारी करे, जैसा कि आयोग आदर्श आचार संहिता के तहत करता आया है। चुनाव आयोग के पास संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत ये शक्तियां मिली है कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए ऐसे आदेश दे सकता है।”
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घोषणापत्र पर चुनाव आयोग की गाइडलाइन
- इसके साथ ही पार्टियों को घोषणा पत्र में कोई भी गलत या भ्रामक वादा करने से बचना चाहिए। इसे लेकर चुनाव आयोग की गाइडलाइन इस प्रकार है जिसका पालन करना अनिवार्य है।
- चुनावी घोषणापत्र में संविधान में निहित आदर्शों और सिद्धांतों के अनुरूप होना चाहिए।
- चुनावी घोषणा पत्र आदर्श आचार संहिता के अन्य प्रावधानों की भावना के अनुरूप हो।
- संविधान में निहित राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत ये आदेश दिया गया है कि राज्यों को नागरिकों के लिए विभिन्न कल्याणकारी उपाय करने होंगे। इसीलिए चुनावी घोषणापत्रों में ऐसे कल्याणकारी उपायों के वादे पर कोई आपत्ति नहीं की जा सकती है।
- हालांकि, राजनीतिक दलों को ऐसे वादे करने से सावधान रहना चाहिए, जिनसे चुनाव प्रक्रिया की शुचिता प्रभावित।
- घोषणापत्र में पारदर्शिता, समान अवसर और वादों की विश्वसनीयता हो।
- घोषणापत्र में किए गए वादे स्पष्ट होने के साथ ही इसे पूरा करने के लिए वित्तीय संसाधन जुटाए जाने वाले संसाधनों की भी जानकारी होनी चाहिए।
- चुनावों के दौरान निषेधात्मक अवधि को मानना जरूरी है। जिसका मतलब है कि मतदान शुरू होने से 48 घंटे पहले कोई भी घोषणापत्र जारी नहीं होगा।
Positive सार
चुनावी घोषणापत्र (Election Manifesto) किसी भी राजनीतिक पार्टी का डिस्प्ले होती है। इसके जरिए राजनीतिक पार्टियों की रणनीति और मंशा को भी दर्शाती है। लेकिन आम नागरिक को भी सिर्फ घोषणापत्रों के आधार पर वोट नहीं करना चाहिए। मतदाता को अपने अधिकारों का इस्तेमाल सोच-विचार कर करना चाहिए। ध्यान रहे लोकतंत्र में आप महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं इसीलिए मतदान करने जरूर जाएं।