Climate Warrior of the Year 2023: गूगल की जॉब छोड़कर कचरा क्यों साफ कर रहें है ये शख्स!

Climate Warrior of the Year 2023: अरुण कृष्णमूर्ति भारत के लिए एक ऐसा नाम है जिन्होंने गूगल की नौकरी छोड़कर अपना जीवन पर्यावरण को समर्पित कर दिया। उनके इस काम के लिए उन्हें क्लाइमेट वॉरियर्स श्रेणी में ‘इंडियन ऑफ द ईयर 2023’ का सम्मान भी मिल चुका है। अरुण कृष्णमूर्ति एक क्लाइमेट एक्टिविस्ट हैं जिन्होंने अपनी बेहतर लाइफ को छोड़कर देशभर की बंजर पड़ी जमीनों को हरा-भरा करने की जिम्मेदारी उठाई है। 

पर्यावरण के लिए कुछ करने की इच्छा से छोड़ी नौकरी 

38 साल के अरुण चेन्नई के रहने वाले हैं। उन्होंने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन से अपनी शिक्षा पूरी की है। बाद में उन्होंने गूगल में नौकरी ज्वाइन कर ली। अपने काम के दौरान उन्होंने कई ऐसी चीजों को करीब से देखा जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है। ऐसी कई बातों ने उन्हें पर्यावरण के लिए कुछ करने को प्रेरित किया। पर्यावरण और जलवायु के प्रति कुछ करने की अपनी तीव्र इच्छा के चलते उन्होंने नौकरी छोड़कर परमानेंटली पर्यावरण के लिए काम करना शुरू कर दिया। वह देश भर के झीलों की साफ-सफाई के अभियान में लग गए। अरुण ने साल 2011 में चेन्नई बेस्ड इंवायरमेंट्लिस्ट फाउंडेशन ऑफ इंडिया की स्थापना की। 

आज इंवायरमेंट्लिस्ट फाउंडेशन ऑफ इंडिया की ब्रांच दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद जैसे 15 शहरों में पूरी तन्मयता से काम कर रही है। इस फाउंडेशन की मदद से उन्होंने देशभर में सूखे और गंदे पड़े झीलों की सफाई का काम किया है। अरुण कृष्णमूर्ति को क्लाइमेट वॉरियर्स कैटेगरी में एस थिमक्का के साथ सम्मानित किया गया है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की सराहना

2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो शो ‘मन की बात’ में अरुण कृष्णमूर्ति का भी जिक्र किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने अरुण का खास जिक्र किया थ। अरुण को पर्यावरण के प्रति उनके काम के लिए अबतक कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें ‘एने गुडऑल इंस्टीट्यूट ग्लोबल यूथ लीडरशिप’, ‘गूगल एलुमनाई इम्पैक्ट’ और ‘रोलेक्स अवॉर्ड फॉर एंटरप्राइज’ का भी अवार्ड मिल चुका है। 

हजारों युवाओं के बीच सलेक्ट हुए अरुण 

क्लाइमेट वॉरियर्स श्रेणी में ‘इंडियन ऑफ द ईयर 2023′ के लिए अरुण कृष्णमूर्ति के साथ ‘जोशीमठ बचाओ संघर्ष’ समिति के संयोजक अतुल सती, ‘बाढ़ मुक्ति अभियान’ के संयोजक दिनेश कुमार मिश्रा, युवा भारतीय जलवायु कार्यकर्ता रिधिमा पांडे और एस थिमक्का के साथ ऐसे कई युवा इस रेस में थे जो पर्यावरण के लिए पूरे समर्पण के साथ काम कर रहे हैं। 

Positive सार 

पर्यावरण और जलवायु के प्रति काम करना वाकई साहस का काम है, क्योंकि ये कोई एक दिन का काम नहीं है। इसके लिए निरंतर प्रयास करने होते हैं। कभी कई लोगों का साथ मिलता है तो कभी अकेले भी होना होता है। उनके इस काम ने साबित किया है कि उनका काम कई बदलाव की वजह बन रहा है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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