Bihar Floating House: क्लाइमेट चेंज से लड़ने के लिए बिहार में एक Floating House बनाया गया है। अब ये बात दिमाग में आ रही होगी कि एक Floating House कैसे क्लाइमेट चेंज से लड़ सकता है, तो हम आपको बताते हैं कि कैसे 6 लाख रुपये की लागत से तैयार एक Floating House पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
महुली गंगा पर बना है Floating House
जलवायु परिवर्तन के अनुरूप बनाया गया यह तैरता हुआ घर आरा मुख्यालय से सिर्फ 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित महुली गंगा नदी के ऊपर बनाया गया है। पानी की साफ धारा में तैरता हुआ यह Floating House काफी आकर्षक है। ये यहां के लोगों को बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बचाने और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। इसे तैयार करने वाले इंजीनियर के मुताबिक इस घर को करीब 6 लाख रुपये की लागत से बनाया गया है।
नेचुरल चीजों से बना एक घर
इस फ्लोटिंग हाउस को काफी आकर्षक तरीके से बनाया गया है। इसे बनाने के लिए प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल किया गया है। इसे बनाने में गाय के गोबर से बनी ईंट, पुआल, मिट्टी, सुरखी चुना और बांस के बल्ले जैसी कई प्राकृतिक सामग्रियों का इस्तेमाल हुआ है। वहीं घर के अंदर और बाहर की सजावट को हस्तनिर्मित शिल्प की मदद से खूबसूरती से तैयार किया गया है। पानी में तैरते इस घर में आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित दो बड़े फूस के कमरे बनाए गए हैं।
बाढ़ से बचाने के लिए बनाया गया
इस घर को बनाने का उद्देश्य है बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोगों को सुरक्षा देना। बाढ़ के दौरान पलायन करने पर मजबूर होने वाले लोग इस तरह के घर को बना सकते हैं। इन सभी के अलावा इस घर को पर्यटन की दृष्टि से भी काफी अहम माना जा रहा है। इको-टूरिज्म के तौर पर भी ऐसे घरों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस संबंध में सरकार और उनके अधिकारियों से भी बातचीत की जा रही है।
6 लाख रुपये की लागत
इस घर को बनाने में 6 लाख रुपये की लागत आई है। इसमें लगभग 6 से 7 लोग आराम से अपना जीवन जी सकते हैं। इस घर को बनाने में प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल किया गया है। गोबर की ईंटें, पुआल की चादरें, सुरखी चुना, मिट्टी और बांस बल्लियों का उपयोग यहां हुआ है। इस घर को मौसम में बदलाव को ध्यान में रखते हुए भी डिजाइन किया गया है, जिससे यह गर्मियों में ठंडा रहता है और ठंड में भी गर्मी का अनुभव करवाता है। इस घर को नाव की मदद से कहीं भी ले जा सकते हैं।