ये हैं प्रीति मस्के जो 40 साल की हैं और 2 बच्चों की मां भी हैं। लेकिन इस बात के इनकी अपनी एक अलग (inspiration) पहचान है। प्रीति एक साइकलिस्ट हैं, बिजनेस वुमन हैं और भी बहुत कुछ हैं। लेकिन प्रीति आज जहां खड़ी हैं वहां तक पहुंचना आसान नहीं था। उन्होंने संघर्ष की एक ऐसी कहानी बुनी है जिसकी प्रेरणा हर व्यक्ति की जिंदगी बदल सकता है। (inspiration) प्रीति ने ये साबित किया है कि जीवन में मुश्किलें तो कई आएंगी लेकिन वही व्यक्ति जीत सकता है जो दृढ़संकल्पी हो।
कौन हैं प्रीती मस्के?
प्रीती पेशे से एक साइकलिस्ट हैं। उन्होंने 40 साल की उम्र में साइकलिंग की शुरूआत की जब लोग कुछ नया करने के लिए भी सोचते हैं प्रीती ने अपनी शुरूआत को बल दिया। (inspiration) उनकी शुरूआत आसान नहीं थी वे कई ऐसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रही थीं जिससे व्यक्ति कुछ नया करने का सोच भी नहीं सकता दरअसल प्रीती एनीमिया और हॉर्मोनल इमबैलेंस से लड़ रही थीं वो किसी भी काम को करते हुए बहुत जल्दी थक जाती थीं। (inspiration) इसके कारण न तो वह घर पर न ही ऑफिस में ठीक से काम करने में सक्षम थी बल्कि मानसिक रूप से परेशान रहने लगीं। लेकिन आज उन्होंने 45 साल की उम्र में लेह से मनाली अकेले साइकिल कर अपने जीवन का एक नया अध्याय लिख दिया है।
प्रीती के नाम कई रिकॉर्ड
साइकिलिंग की दुनिया में प्रीति के नाम कई रिकॉर्ड हैं जब प्रीती 45 साल की हुईं तो उन्होंने 55 घंटे 13 मिनट में अकेले साइकिल चलाकर लेह से मनाली तक पहुंचने का रिकॉर्ड कायम किया प्रीती ऐसा करने वाली पहली महिला बन गईं। वह लाखों-लाख लोगों के जीवन को बदल रही हैं (inspiration) वो लोगों के लिए रोल मॉडल हैं।
कई परेशानियों से लड़कर हासिल किया मुकाम
पुणे की रहने वाली प्रीती मस्के ने 40 साल की उम्र में एनीमिया, हार्मोनल इमबैलेंस और पीसीओएस जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना किया उन्होंने इससे लड़ने के लिए साइकलिंग का सहारा लिया। प्रीति का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो गया है।
प्रीति मस्के स्कूल में राष्ट्रीय स्तर की हॉकी और बास्केटबॉल (inspiration) खिलाड़ी रह चुकी हैं। साइकलिंग के लिए प्रीती को बेटे से मिली। दरअसल 2017 में अपने बेटे के स्कूल में माता-पिता की दौड़ में प्रीति ने हिस्सा लिया था। अपने बेटे के स्कूल में ही उन्होंने कोच से पूछा था कि क्या उन्हें लगता है कि वह इस उम्र में यह सबकुछ कर सकती हैं। इसका जवाब कोच ने हां में दिया और प्रीती ने बस शुरूआत कर दी।
साइकलिंग से सुधरी सेहत
प्रीती ने जब फिजिकल एक्टिविटी शुरू की तो उनके जीवन में बदलाव दिखने लगे। उन्हें अच्छा महसूस होने लगा तो उन्होंने लंबी राइड्स की तैयारी की और 2021 में स्वर्णिम चतुर्भुज साइकिल राइड पूरी करने के बाद वह नई चुनौतियों की तलाश में लग गई उनके जीवन को एक मकसद मिल गया।
प्रीती ने कभी सोचा भी नहीं था उनका जीवन ऐसे बदलेगा। उन्होंने (inspiration) अपने शौक को ही अपने करियर का जरिया बना लिया उन्होंने साइकिल मैन्यूफैक्चरिंग और एडवेंचर कंपनी का काम शुरू किया। आज उनके कई साझेदार हैं। अपने साइकिल अभियानों के बीच वह ऑफिस का काम करने के लिए भी समय निकालती हैं और उन लोगों के लिए प्रेरणा बन रही हैं जो किसी शुरूआत के लिए सोचते हैं कि देर हो चुकी है।