ये कहानी है कोलकाता की संप्रीति भट्टाचार्य (Sampriti Bhattacharyya) की जो एक स्टूडेंट थीं। एक परीक्षा में वो फिजिक्स में फेल हो गई थीं जिसके बाद कुछ लोगों ने उन्हें हाउस वाइफ बनने के लिए कहा था। लेकिन आज यही ‘औसत छात्रा’ ऐज फ्लाइंग बोट (Flying Boat) बनाने वाली एक सफल Entrepreneur के तौर पर अपनी पहचान रखती हैं।
संप्रीती नेवियर की कहानी
36 साल की संप्रीती नेवियर (Navier) की संस्थापक और सीईओ हैं। ये एक ऐसी कंपनी है, जो नेवियर 30 (Navier 30) नामक अपनी इलेक्ट्रिक हाइड्रोफॉइल नाव के साथ समुद्री उद्योग में नई क्रांति लाने का काम कर रही है। यह दुनिया की सबसे लंबी दूरी की और अमेरिका की पहली पूरी तरह से इलेक्ट्रिक हाइड्रोफॉइलिंग नाव होने की बात कहते हैं।
फिजिक्स में फेल होने से लेकर NASA पहुंचने की कहानी
एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि एक छात्र के रूप में उन्हें फिजिक्स से प्रेम था लेकिन कई बार असफलता का सामना करना पड़ता है। इसी तरह वो एक महत्वपूर्ण परीक्षा में फेल हो गईं। जिसके बाद उन्हें नकारात्मक टिप्पणी का भी सामना करना पड़ा।
20 साल की उम्र में, भट्टाचार्य ने 540 कंपनियों में इंटर्नशिप के लिए आवेदन किया और उन्हें अमेरिका में केवल एक पार्टिकल फिजिक्स प्रयोगशाला में जॉब मिली नौकरी मिली। वो कहती हैं कि “540 ईमेल में से प्रत्येक में मैंने लोगों को ये बताया कि मैं क्या कर सकती हूं और मुझे सिर्फ चार ने जवाब दिया। अंत में मुझे कामयाबी मिली और मैं फर्मिलैब में इंटर्नशिप थी।”
नासा इंटर्नशिप के बाद शुरू किया स्टार्टअप
इसके बाद भट्टाचार्य रिसर्च असिस्टेंट के रूप में शिकागो गईं। वो काम करती गईं और उन्हें नासा के साथ एक और इंटर्नशिप की। फिर ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री और एमआईटी से पीएचडी की डिग्री हासिल करने के बाद वो सैन फ्रांसिस्को चली गईं। उन्होंने 12 मिलियन डॉलर जुटाए और नाव बनाने के लिए एक टीम बनाई।
Forbes 30 Most Powerful Young Changers में शामिल
साल 2016 में उन्हें फोर्ब्स द्वारा दुनिया के शीर्ष 30 सबसे शक्तिशाली युवा चेंजर्स में से एक के रूप में पहचान मिली। वो कहती है कि पिछले 13 सालों में उन्होंने बहुत कुछ सीखा बहुत आत्मविश्वास मिला और अब वो इस फ्लाइंग बोट का निर्माण कर रही हैं।