Inspiring: कोई कहानी कैसे बनती है, कोई दिल को कैसे छूता है, कोई प्रेरणा की मिसाल कैसे बनता है? इन सभी सवालों का जवाब है मेहनत, दृढ़ इच्छाशक्ति और परसिसटेंस। ये तीन इंन्ग्रिडियन जिंदगी को शानदार बना देते हैं। इसमें बीच-बीच में संघर्षों और मुसीबतों का तड़का भी लगता है। लेकिन ऐसी रेसिपी का क्या स्वाद जहां तड़का न हो। ये सभी बातें एक व्यक्तित्व पर बिल्कुल फिट बैठती है जिनका नाम है ‘लिलिमा खान’ आज एक टॉप यूरोपियन रेस्टोरेंट की शेफ लिलिमा के पास कभी रहने को घर नहीं था और पेट भरने के लिए कचरा उठाना उनकी मजबूरी थी। लेकिन लिलिमा ने अपनी तकदीर खुद बदली, ये है उनकी कहानी…
लिलिमा खान के बारे में
लिलिमा का जन्म एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था। सिर्फ चार साल की लिलिमा पर मुसीबतों का पहाड़ तब टूटा जब उनके माता-पिता चल बसे। वे अपने बड़े भाई के साथ रहने लगी। एक रोज लिलिमा के भाई ने नशे की हालत में अपना घर बेच दिया। अब लिलिमा सड़कों पर थी। उन्हें खाने के लिए कूड़ा बिनना पड़ा। स्कूल और एजुकेशन से उनका दूर-दूर तक कोई लेना-देना ही नहीं था। कुछ साल सड़क पर गुजारने के बाद उन्हें एक संस्था की मदद से रहने को स्थायी छत मिली। एनजीओ में उन्हें पढ़ने का मौका मिला। वो स्कूल में दाखिल हुई और पढ़ाई शुरू किया। पर कहते हैं कि जो कुछ अलग करते हैं किस्तम बार-बार उनका इम्तिहान लेती है। बस लिलिमा भी वहीं थी। उनकी जीवन ठीक-ठाक चल रही है थी तभी लिलिमा की एक मौसी उसे संस्था से निकालकर अपने घर ले गईं। यहां उनके रिश्तेदार उनसे मजदूरी कराने लगें, काम न करने पर मारा-पीटा भी जाता था। ऐसे में उनके भाई ने लिलिमा की मदद की और उन्हें दिल्ली के कश्मीरी गेट स्थित के Kilkari Rainbow Home में भेजा। यहां लिलिमा करीबन 18 साल तक रहीं। यहीं उसने ठाना कि जिंदगी को एक मकसद देना जरूरी है।
शेफ बनने की कहानी
जब लिलिमा किलकारी रेनबो होम में रह रही थी तब उन्हें Creative Services Support Group (CSSG) के बारे में पता चला। यह ग्रुप 18 साल से बड़े बच्चों को आत्मनिर्भर बनने में सहायता करता था। इस ग्रुप की मदद से बच्चों को अलग-अलग ट्रेनिंग प्रोग्राम से जोड़ा जाता था ताकि वे आर्थिक रूप से मजबूत बनें। आगे चलकर ये बच्चे अच्छा करियर बना सकते थे। ऐसे ही एक CSSG ग्रुप की मदद से लिलिमा को दिल्ली की एक रेस्टोरेंट में शेफ की ट्रेनिंग का मौका मिला। यही वो टर्निंग प्वाइंट था जिसने लिलिमा की जिंदगी बदली। इस मौके का उन्होंने बखूबी इस्तेमाल किया और अपनी मेहनत के दम अपनी काबिलियत साबित कर दिखाया। लिलिमा आज शेफ बनकर अपना जीवन संवार चुकी हैं। एक बड़े रेस्टोरेंट में एग्जीक्यूटिव शेफ हैं और 30-40 लोगों के टीम को लीड कर रही हैं। लिलिमा एक व्यक्तित्व हैं, एक प्रेरणा हैं और एक सच्ची कहानी हैं जो बताती है कि जीवन में कुछ भी नहीं है जो नहीं किया जा सकता, बस मेहनत और जुनून से अपने पैशन को फॉलो करना जरूरी है।