Superfood के नाम से मशहूर मोरिंगा या सहजन काफी फायदेमंद होता है। ये जितना हेल्थ के लिए लाभदायक है उतना ही भारत के एक्सपोर्ट मार्केट को बढ़ाने में भी मददगार है। अपने गुणों की वजह से इस सुपरफ़ूड मोरिंगा की दुनियाभर में काफी मांग है। इसकी आपूर्ति के लिए दुनियाभर के कई और कई देश इसके लिए भारत की तरफ देख रहे हैं। कुछ दिनों पहले ही नॉर्वे के पूर्व मंत्री और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण प्रोग्राम के के पूर्व कार्यकारी निदेशक एरिक सोल्हेम ने ‘मोरिंगा’ को लेकर कुछ खास बातें कहीं हैं। इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि कैसे मोरिंगा हेल्थ के साथ भारतीय इकोनॉमी को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
खास है मोरिंगा
खाद्य, और कृषि संगठन के मुताबिक मोरिंगा के पेड़ का कोई भी ऐसा हिस्सा नहीं है जो काम नहीं आता है। दरअसल मोरिंगा के छाल, फली, पत्ते, नट, बीज, जड़ और फूल, खाने से कई बीमारियां दूर होती है। इसकी पत्तियां प्रोटीन, विटामिन ए, बी और सी और दूसरे मिनरल्स से भरपूर होते हैं।
ख़ास बात ये है कि ये पेड़ ड्राई मौसम के दौरान और सूखे के समय में पत्तियां पैदा करता है, तब कोई दूसरा भोजन उपलब्ध नहीं होता है। ऐसे में, यह हरी सब्जियों का एक बेहतरीन सोर्स होता है। मोरिंगा प्रोडक्ट्स में एंटीबायोटिक, एंटीट्रिपेनोसोमल, हाइपोटेंशन, एंटीस्पास्मोडिक, एंटीअल्सर, एंटी-इंफ्लेमेटरी, हाइपो-कोलेस्टेरोलेमिक और हाइपोग्लाइसेमिक गुण पाए जाते हैं।
कई बीमारियों में देता है सुरक्षा
एक्सपर्ट्स की मानें तो मोरिंगा विभिन्न बीमारियों जैसे पुरानी सूजन, पित्ताशय की थैली, गुर्दे के संक्रमण और शुगर के इलाज में हेल्पफुल होता है। इसमें फाइटोएक्टिव कंपाउंड्स शामिल होते हैं। ये पुरानी सूजन को कम करने के लिए भी असरदार होते हैं। कैरी वाटरमैन, पोषण विभाग, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय ने मोरिंगा पर रिसर्च किया, ये रिसर्च करीब 20 साल चला, जिसके मुताबिक मोरिंगा पारंपरिक रूप से हजारों वर्षों से कई बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल होता रहा है।
भारत को आर्थिक रूप से मजबूती देता मोरिंगा
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि मोरिंगा प्रोडक्ट की अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, चीन और दक्षिण कोरिया में काफी डिमांड है। फॉर्च्यून बिजनेस इनसाइट्स ने 2020 में मोरिंगा प्रोडक्ट्स के लिए वैश्विक बाजार का आकार 7.7 बिलियन डॉलर होने का अंदाजा लगाया है। जो कि भारत के लिए काफी अच्छी खबर है, ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में इसकी खेती होती है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के एग्री एक्सचेंज पोर्टल की 2019 की रिपोर्ट कहती है कि भारत सालाना 2.2 मिलियन टन के साथ मोरिंगा का सबसे प्रमुख उत्पादक है। भारत के पास ये क्षमता है कि वो वैश्विक मांग का 80% पूरा कर सकता है।