हम सब जब कोई भी काम करते हैं तो उसके पीछे कोई न कोई वजह जरूर होती है। लेकिन सबसे बड़ी वजह लावलीहुड की होती है। पर कोई इंसान ऐसा होता है जो अपने पैशन के लिए लिए काम करता है। ऐसी ही एक व्यक्तित्व हैं संजना तिवारी जिनका काम उनकी पहचान है, इतना ही नहीं उनकी कहानी कई लोगों के लिए प्रेरणा भी बन रही है।
संजना की कहानी
कई बार महिलाओं के लड़ाई भूख की नहीं आत्मसम्मान की होती है। खुद को साबित करने की होती है। ये कहानी है बिहार के एक छोटे से गांव की रहने वाली संजना तिवारी की । वो एक ऐसी महिला हैं जिन्होंने अपने काम को अपना जीवन माना है। उन्होंने तमाम सुख-सुविधाओं के बावजूद अपने शौक के लिए सड़क किनारे बैठ कर कितने बेची है। संजना एक ऐसी संघर्षशील महिला हैं, जिन्होंने अपने जीवन से कई महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा दी है। संजना तिवारी दिल्ली के मंडी हाउस में श्रीराम सेंटर के बाहर 26 सालों से एक छोटी सी बुक स्टॉल चला रही हैं। उन्हें कोई मां के रूप में देखता है तो कोई नई किताब वाली आंटी के नाम से जानता है।
प्रतिष्ठित परिवार से संबंध रखती हैं संजना
एक वेबसाइट में छपी खबर के मुताबिक संजना 26 सालों से एक छोटी सी किताब की दुकान चलाती हैं। उनकी दुकान लगी छोटी है साथ संजना भी काफी आम सी दिखाई देती है। अमूमन उन्हें देखकर लोग ये सोच सकते हैं कि वो ये काम मजबूरी में कर रही होंगी। लेकिन संजना तिवारी की कहानी बिल्कुल अलग है। दरअसल संजना एक पढ़े लिखे और प्रतिष्ठित परिवार से संबंध रखती हैं। संजना का एक बेटा और एक बेटी हैं। उनका बेटा एक डॉक्टर है और बेटी PHD कर रही हैं। संजना के पति एक पत्रकार थे जो किसी मीडिया संस्थान में फिलहाल एडिटर है और संजना के दामाद एक आईपीएस अधिकारी हैं।
पैशन है किताब बेचना
कई लोग संजना से कहते हैं उन्हें ये काम करने की क्या जरूरत है। उनका फैमिली बैकग्राउंड इतना अच्छा होने के बावजूद उन्हें फुटपाथ पर किताब बेचने की क्या जरूरत है। इस पर संजना कहती हैं कि बुक स्टॉल चलाना उनकी मजबूरी नहीं बल्कि पैशन है। संजना एक लेखिका भी हैं किताबों के साथ उनका अलग ही जुड़ाव है। संजना बेहद शायराना और खुशमिजाज व्यवहार की व्यक्तित्व है।
अनोखे अंदाज में चलाती हैं किताब स्टॉल
एक अच्छी भली उम्र बिताने के बाद भी संजना अकेले ही ये इस स्टॉल की देखरेख करती हैं। उनकी स्कूटी एक चलती फिरती लाइब्रेरी है। इसी पर ये अपनी सभी किताबों को रोज लाने ले जाने के लिए उपयोग करती है। संजना जिस फोल्डिंग पर अपनी किताबें सजाती हैं, उसको भी वो रॉक स्कूटी पर ही लाने ले जाने का काम करती हैं। संजना अपने स्टॉल पर सजे किताबों के मुरीद में राजकुमार राव से लेकर पंकज त्रिपाठी जैसे मंझे हुए अभिनेताओं का नाम भी शामिल है। आज वो सिर्फ केवल महिलाओं के लिए नहीं, बल्कि हर उस इंसान के लिए एक प्रेरणा हैं, जो इस उम्र में भी अपने शौक को जिंदा रखने की ताकत रखते हैं।