लिफ़ाफ़ा- कागज़ की चार सिलवटों की संरचना, जो हमारे कीमती और ख़ूबसूरत सामानों को सहेजता है। एक खासियत है लिफ़ाफ़े की उस में चाहे जो सामान आप रखें, उसे वो एक-सी शिद्दत से संभालता है। कभी भेद-भाव नहीं करता। लिफ़ाफ़ा चाहे रंगीन हो, सफ़ेद हो, ख़ूबसूरत हो या सादा, अपना काम बख़ूबी जानता और निभाता है।
लिफ़ाफ़े में कभी कोई तस्वीर याद के रूप में रहती है, तो कोई जज़्बात चिट्ठी के ज़रिये उस में सहेजी होती है।
कभी-कभी ज़रूरी कागज़ात की एहमियत को संभाले होते हैं। लिफ़ाफ़ा एक, जिम्मेदारियां अनेक। ना जाने क्यों टेक के दौर में भी लिफ़ाफ़ा देख कर आज भी मन उत्साहित तो होता ही है।
एक दिन “बस यूँ ही” ख़्याल आया लिफ़ाफ़ा हमारे अंतर्मन की तरह है, जो एक पूरी दुनिया संभाले हुए है। हमें भी सिर्फ उस लिफ़ाफ़े के गुणों को आत्मसात करना है । सब रिश्ते, अपने सपने, अपने लक्ष्य, और अपनी ख़ुशी को हर वक्त संजोना है , ताकि आतंरिक और बाहरी दुनिया का तालमेल बना रहे और हम वो कर पाएँ जो हमें करना चाहिए, बिना अपनी पहचान खोये।