देश के 22 करोड़ मजदूरों को अब भारत के किसी भी कोने से
राशन मिलेगा। परिस्थितियां चाहे जो भी होंगी उन्हें भूखा नहीं रहना पड़ेगा। दरअसल
सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ‘वन नेशन वन राशन कार्ड योजना’ को लागू करने के निर्देश दिए है। कोविड महामारी के दौरान मजदूरों की
स्थिति को देखते हुए इस कदम को लागू करने की जरुरत को सरकार ने महसूस किया। इस
योजना के लागू होने से प्रवासी मजदूरों की परेशानी कम होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को ये कहा है कि हर राज्य 31
जुलाई तक निश्चित तौर पर वन नेशन वन राशन कार्ड की स्कीम को लागू करे। ताकि हर
मजदूर को देश के किसी भी कोने से उसके हिस्से का राशन मिल सके।
क्या है वन नेशन वन राशन कार्ड स्कीम ?
वन नेशन वन राशन कार्ड वह स्कीम है जिससे मजदूर अपने राशन
कार्ड से कहीं भी राशन खरीद सकता है। इसमें राशन कार्ड को एक सेंट्रल सिस्टम से
जोड़ा जाएगा। 2019 में इस स्कीम को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 4 राज्यों तेलंगाना,
महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्रप्रदेश शुरु किया गया था।
इस योजना से उन मजदूरों को सबसे ज्यादा फायदा होगा जो अपना
घर छोड़कर दूसरी जगह पर काम करते हैं। साथ ही आधार के साथ राशन कार्ड के लिंक होने
से फर्जी राशन कार्ड बनना बंद होगा और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भी पारदर्शिता
बढ़ेगी।
कोविड महामारी के दौरान भूख की चिंता में कई मजदूर लंबी
दूरी पैदल तय कर अपने घर की ओर लौटे थे। सरकार के इस कदम से प्रवासी मजदूरों को अब
कम से कम भूख की चिंता नहीं रहेगी। वन नेशन वन राशन कार्ड की स्कीम से जो सदस्य घर
से बाहर है, उसे अपने हिस्से का राशन वहीं से मिलेगा जहां वह रह रहा है, और बाकी
के सदस्यों को उनके हिस्से का राशन पहले वाली दुकान से मिल सकेगी।