उत्तराखंड के देउबदन में भारत के
पहले क्रप्टोगेमिक गार्डन की शुरूआत हुई है।
8 हजार 850 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह गार्डन देहरादून से लगभग 99 किमी की
दूरी पर स्थित है। क्रिप्टोगेमिक गार्डन की खासियत है कि यह कभी भी प्रदूषित क्षेत्रों में नहीं उगते हैं
और इसीलिए यह बेस्ट बायो इंडीकेटर माने जाते हैं। देवदार और ओक के जंगलों से घिरे
होने की वजह से यह गार्डन पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र होगा।
क्या होते हैं क्रिप्टोगेमिक ?
क्रिप्टोगेमिक पौधे बिना बीज के
तैयार होते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो ये बिना बीज वाले पौधों की प्रजाति होती
है। इनमें कोई बीज, फूल नहीं होते हैं। इन पौधों के ग्रुप में शैवाल, लाइकेन,
फर्न, कवक शामिल हैं। क्रिप्टोगेम पौधों के जीवन के लिए नम परिस्थितियों की जरुरत
होती है।
भारत में क्रिप्टोगेमिक गार्डन के
फायदे
क्रिप्टोगेमिक गार्डन प्रकृति के
संतुलन को बनाए रखने में मददगार साबित
होते हैं। यह गार्डन उत्तराखंड की करीब 539 लाइकेन, 346 शैवाल प्रजातियों के लिए
फायदेमंद साबित होगी। इस गार्डन में क्रिप्टोगेम्स की लगभग 76 प्रजातियां हैं, जो
इस गार्डन को अनोखा बनाते हैं। प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध उत्तराखंड अब
अपनी इस विशेषता की वजह से भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करेगा।