आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ने स्वास्थ्य, शिक्षा और रक्षा के
क्षेत्र में संभावनाओं के द्वार खोले हैं। इसके विकास ने रिसर्च, विज्ञान, गेमिंग
और एंटरटेंनमेंट के क्षेत्र में रचनात्मक बदलाव किए हैं और हमारे जीवन के सभी पहलुओं
को प्रभावी बनाया है। ऐसे में इन दिनों ‘डीप फेक’ दुनिया में चर्चा का विषय बना है। ग्लोबली इस बात पर विचार
किया जा रहा है, कि आखिर डीप फेक के फायदे हैं या नुकसान। डीप फेक तकनीक को दुनिया
में गलत सूचनाओं के प्रसार का ज़िम्मेदार माना जा रहा है। लेकिन तकनीकी विशेषज्ञ
इस बात को भी नहीं नकार रहे हैं, कि डीप फेक टेक्नोलॉजी दुनिया के लिए काफी
फायदेमंद है। उनका यह तक कहना है कि फायदा या नुकसान नज़रिये पर निर्भर करता है।
क्या है
डीप फेक टेक्नोलॉजी ?
‘डीप फेक’ टेक्नोलॉजी कंप्यूटर के बनाए गए
एआई आधारित वीडियो होते हैं जिन्हें इमेज की सहायता से तैयार किया जाता है। यह एआई और मशीन लर्निंग
तकनीक है। जिसमें तस्वीरों के अलावा हाव-भाव और आवाज तक को बदला जा सकता है।
एक छोटा सा उदाहरण लेते हैं जिससे
हम डीप फेक को एकदम आसानी से समझ सकते हैं। आजकल एक मोबाइल एप काफी पॉपुलर है।
जिसमें किसी भी फिल्म के गाने, सीन या वीडियो में आप अपने चेहरे को लगा सकते हैं। युवाओं में यह काफी प्रचलित हो रहा है।
डीप फेक टेक्नोलॉजी के फायदे
स्वास्थ्य, संचार, फिल्म और
पत्रकारिता के क्षेत्र में ‘डीप फेक’ तकनीक
काफी फायदेमंद हो सकती है। अगर किसी व्यक्ति की आवाज चली जाती है तो इस तकनीक के
माध्यम से उसके विचारों को आवाज दिया जा सकता है। शिक्षा के क्षेत्र में इस तकनीक
का उपयोग काफी प्रभावी साबित होगा। ‘डीप फेक’ तकनीक की मदद से कठिन विषयों को रोचक बनाया जा सकता है। विज्ञापन के क्षेत्र
में भी डीप फेक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। मनोरंजन के क्षेत्र में इसका
उपयोग अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाई दे सकता है।
नई तकनीक का उदय हमेशा अपने साथ
संभावनाओं और संशय को साथ लेकर आता है। जैसे कि आग के उपयोग को ही देख लिया जाए।
आग सबसे खतरनाक तकनीक है लेकिन दुनिया में सबसे प्राचीन यह तकनीक इंसान के जीवन के
लिए आवश्यक है। इंसान ने इसके प्रयोगों को जाना और आज सावधानी के साथ सहीं उपयोग
से जीवन आसान है । ‘डीप फेक’ तकनीक पर अभी चर्चा और रिसर्च
दोनों जारी है। जागरूकता, नैतिक नियमों और एआई सिद्धांतों के साथ दुनिया ‘डीप फेक’ तकनीक का रचनात्मक उपयोग कर सकती
है।