ट्रैवल एटीकेट्स/TRAVEL ETIQUETTE

हते
हैं जीवन में बड़ी–बड़ी सफलता छोटे-छोटे प्रयासों से बनती हैं। हम संस्कारों,
अच्छे व्यवहार और मैनर्स की बातें बहुत करते हैं, उन्हें जीवन में उतारने की कोशिश
भी करते हैं। लेकिन ऊँचे संस्कारों और बड़ी-बड़ी बातों 
में ऐसे कई छोटे लेकिन बहुत
महत्वपूर्ण व्यवहार हम नज़र अन्दाज़ कर जाते हैं। इस बात का अनुभव मुझे मेरी एक
हवाई यात्रा के दौरान हुआ और इस विषय पर लिखने को प्रेरित किया।

सफर
रायपुर से इंदौर का था, सहयात्रियों के रूप में एक विवाह में शामिल होने वाला एक ग्रुप
भी विमान में बोर्ड हुआ। हाथों में मेहंदी
,
सजे-धजे और ठहाके लगाते, लोग ज़ाहिर था कि वे बहुत उत्साहित और खुश थे। जब तक सभी
यात्री बैठने की प्रक्रिया में थे तब तक उनकी बातें और हँसी मजाक पर
ज़्यादा ध्यान नही गया।

अमूमन जब सुबह की फ्लाइट होती है हम अपना ध्यान फ्लाइट
में कर लेते है। जैसे ही फ्लाइट टेक-ऑफ हुई और हम अपने ध्यान पर केंद्रित हुये, कि
अचानक जो शांति फ्लाइट में विद्यमान थी, वो शोरगुल में बदल गई। वो सभी विवाह में
शामिल होने वाले यात्रियों के ठहाके और मस्ती इतनी लाउड हो गई कि, सभी अन्य
यात्रियों के लिये सर दर्द बन गई। ये तो एक वाकया है, लेकिन इस तरह के कई अवसर होते
है जहाँ पब्लिक प्लेस या ट्रान्स्पोर्ट में अपने सहयात्री का ख्याल भी लोगों के
ज़हन में नहीं आता। आपकी खुशी
ठहाके और यात्रा का लुत्फ आपका निजी मामला है लेकिन जब तक वो किसी के लिये
असहनीय ना बन जाये।

Travel Etiquette एक ऐसा महत्वपूर्ण
व्यवहार है जो शायद पाठ्य पुस्तकों में भी शामिल होने चाहिये।

जब हम हमारी शिक्षा पद्धति को प्रैक्टिकल बनाने पर जोर दे
रहे हैं वहीं  मानवीयता के हर पहलु को भी
जोड़ा जाना चाहिये। सिर्फ बड़े-बड़े विचार 
कि “कभी झूठ नहीं बोलना चाहिये” जैसे मुहावरों
के साथ दिन प्रतिदिन कार्य में आने वाले व्यवहार भी सिखाने चाहिये।

आधुनिक दुनिया में तकनीक और मशीने जरुरी है लेकिन हम
मानव अगर अपनी मानवता को
, भावनाओं को तराशने में पीछे रहें तो, हम भी मशीन ही बन जायेंगे। आने वाली
पीढ़ियाँ इस खुबसूरत दुनिया को गले लगाये
, इसके लिये हमें
पहले मानव की आधारभूत जरूरत को पूरा करना होगा।

Avatar photo

Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

ALSO READ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *