भारत के लिए अच्छी खबर है। 15 दिसंबर को UNESCO ने बंगाल के दुर्गा पूजा को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में शामिल किया है। यानी कि बंगाल के दुर्गा पूजा को सांस्कृतिक विरासत का दर्जा मिला है। भारतीयों के लिए यह काफी गर्व का क्षण है। दुर्गा पूजा का उत्सव बंगाल में सितंबर-अक्टूबर के महीने में एक सप्ताह तक बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
यूनेस्को ने क्या कहा ?
यूनेस्को ने ट्विट के माध्यम से कहा कि –“दुर्गा पूजा के दौरान सभी वर्ग, धर्म और जाती के लोग सांस्कृतिक विभाजन को तोड़ते हैं। दुर्गा पूजा धर्म और कला के पब्लिक परफॉर्मेंस के सबसे अच्छे उदाहरण हैं।इसे सहयोगी कलाकारों और डिजायनरों के लिए एक बड़े मौके के रूप में देखा जा सकता है।”
यूनेस्को ने यह भी कहा कि हम भारत भारतीयों को बधाई देते हैं। हम इस बात की उम्मीद करते हैं कि दुर्गा पूजा को इंसानियत की आमूर्त सांस्कृतिक विरासत की लिस्ट में शामिल करने के बाद स्थानीय लोग इस बात को लेकर और ज्यादा उत्साह दिखाएंगे। सांस्कृतिक विरासत निशानियों और वस्तुओं के संकलन से बढ़कर हैं। इसमें परंपराएं और हमारे पूर्वजों की भावनाएं शामिल होती हैं। जो आने वाली पीढ़ियों के लिए होती है।
पीएम मोदी ने देशवासियों को बधाई दी
पीएम मोदी ने इस मौके पर खुशी जाहिर की और ट्विटर के माध्यम से कहा कि- “यह हर एक देशवासियों के लिए गर्व का पल है। ”
इस लिस्ट में पहले से शामिल भारतीय त्यौहार
बंगाल के दुर्गा पूजा से पहले भी भारतीय संस्कृतियों को इस लिस्ट में जगह मिली है जिनमें रामलीला को 2008 में, नवरोज और योग को 2016 में और 2017 में कुंभमेला को इस सूची में शामिल किया गया था।