GREEN FUEL पर संयुक्त रूप से सामने आएंगे भारत और डेनमार्क!

Highlights:

  • भारत और डेनमार्क संयुक्त रूप से हरित ईंधन पर करेंगे अनुसंधान।
  • दोनों देशों में ग्रीन स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप- कार्य योजना 2020-2025 पर सहमति।

पर्यावरण प्रदूषण और मानवीय कारकों से बढ़ी चुनौतियों को कम करने के लिए भारत और डेनमार्क सामने आए हैं। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए दोनों देशों ने हरित हाइड्रोजन सहित हरित ईंधन विकल्पों पर आधारित संयुक्त अनुसंधान और विकास पर आपसी सहमति जतायी है।

संयुक्त विज्ञान और प्रौद्योगिकी समिति की बैठक में लिया फैसला

हाल ही में आयोजित संयुक्त विज्ञान और प्रौद्योगिकी समिति की बैठक के दौरान भारत और डेनमार्क के बीच ग्रीन फ्यूल पर साथ मिलकर काम करने की सहमति बनी। यह बैठक वर्चुअल रूप से संपन्न हुई। इसमें भविष्य के Green Solutions – Green Research, टेक्नॉलजी और नवाचार में निवेश की रणनीति पर विशेष ध्यान देने के साथ दोनों देशों के साइंस, तकनीकी और नवाचार के क्षेत्र में राष्ट्रीय रणनीतिक प्राथमिकताओं और विकास पर चर्चा हुई।

भारत और डेनमार्क के प्रधानमंत्रियों ने हरित सामरिक भागीदारी – कार्य योजना 2020-2025 को स्वीकारते हुए जिस तरह की सहमति व्यक्त की थी, उसके अनुसार ही समिति ने जलवायु और हरित परिवर्तन, ऊर्जा, जल, अपशिष्ट, भोजन सहित मिशन संचालित अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी विकास पर द्विपक्षीय सहभागिता के विकास पर जोर दिया है।

भविष्य में दोनों देशों ने साझेदारी के विकास और आपसी चर्चा के लिए और भी वेबीनार आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की है। साथ ही हरित हाइड्रोजन सहित हरित ईंधनों से संबंधित प्रस्तावों को बढ़ावा देने पर भी बल दिया है।
 इस बैठक की सह-अध्यक्षता भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में अंतरराष्ट्रीय सहयोग मामलों के सलाहकार व प्रमुख एस.के. वार्ष्णेय और डेनमार्क सरकार की डेनिश एजेंसी फॉर हायर एजुकेशन ऐंड साइंस की उप-निदेशक डॉ. स्टीषन जोर्जेंसन के द्वारा की गई। डेनमार्क में भारत की राजदूत पूजा कपूर और नई दिल्ली में डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वान भी इस सम्मेलन के हिस्सा रहे।

बढ़ते प्रदूषण और वैश्विक ताप दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसे ही कम करने के लिए दुनिया भर में व्यापक रूप से उपयोग होने वाले जीवाश्म ईंधन के स्थान पर हरित ईंधन के उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है जिसे जैव ईंधन के रूप में भी जाना जाता है। जैव ईंधन को पर्यावरण अनुकूल ईंधन के बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। बढ़ती पर्यावरणीय चुनौतियों के प्रभाव को देखते हुए भारत और डेनमार्क ने हरित हाइड्रोजन सहित हरित ईंधन के विकल्पों पर आधारित संयुक्त अनुसंधान व विकास पर आपसी सहमति जतायी है।

Avatar photo

Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

ALSO READ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *