स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी: भारत में समानता का प्रतीक संत रामानुजाचार्य स्वामी की प्रतिमा!

Highlight:

  • हैदराबाद में स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी स्थापित
  • पीएम मोदी ने बसंत पंचमी के मौके पर किया उद्घाटन
  • 1000 करोड़ रुपए की लागत से बना है संत रामानुजाचार्य स्वामी का मंदिर

बसंत पंचमी के मौके पर भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को समानता का प्रतीक सौंपा। उन्होंने हैदराबाद में संत रामानुजाचार्य स्वामी की अष्टधातु की प्रतिमा का अनावरण किया। इसे स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी के नाम से जाना जाएगा। हैदराबाद में बनें रामानुजाचार्य मंदिर की स्थापना की लागत लगभग 1000 करोड़ रुपए है और संत रामानुजाचार्य की मूर्ति दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति है। इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है।

भव्य है रामानुजाचार्य का मंदिर

वैष्णव संत रामानुजाचार्य ने ही भारत में पहली बार समानता की बात की थी। रामानुजाचार्य स्वामी के जन्म को 1001 साल पूरे हो चुके हैं। मंदिर में उनकी दो मूर्ति है पहली मूर्ति मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की गई है। यह 120 किलो सोने की बनी है। और दूसरी अष्टधातु की है जिसकी ऊंचाई 216 फीट है और इसी मूर्ति को स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी नाम दिया गया है। हैदराबाद से करीब 40 किमी की दूरी पर रामनगर में बना है संत रामानुजाचार्य का भव्य मंदिर।

कौन थे संत रामानुजाचार्य?

संत रामानुजाचार्य वैष्णव संत थे। उनका जन्म तमिलनाडू में हुआ और उन्होंने कांची के अलवार यमुनाचार्य जी से दीक्षा ली थी। उन्होंने भारत में घूमकर वेदांत और वैष्णव धर्म का प्रचार-प्रसार किया। उन्होंने भारत में भक्ति, वेदांत और ध्यान को जाति बंधनों से दूर रखने की पैरवी की। उन्होंने समानता पर जोर दिया उनका कहना था कि सभी को वेदों से शिक्षा लेने का अधिकार है। कई संस्कृत ग्रंथों की रचना भी उन्होंने की जिसमें श्रीभाष्यम और वेदांत संग्रह शामिल हैं।
सतानत परंपरा की मिसाल कायम करता यह मंदिर भारतीय संस्कृति का खूबसूरत नमूना है। यह आने वाले पीढ़ियों को पुरातन संस्कृति और महत्ता की ओर लेकर जाएगा।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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