Highlights:
- घर खरीदने वालों के हक में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
- बिल्डर के डिफॉल्ट करने पर अब रेरा से मिलेगी मदद
- रियल एस्टेडट कंपनी के डिफॉल्ट करने पर बैंक के पहले ग्राहक को मिलेगा पैसा
सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदने वाले ग्राहकों के हक में एक फैसला सुनाया है। इसके तहत कोर्ट ने कहा है कि- अगर कोई रियल एस्टेरट कंपनी बैंक के लोन का पेमेंट नहीं कर रही है। साथ ही वह खरीददारों को न ही उनका घर दे रही है और न ही पैसा लौटा रही है। ऐसे मामलों में बैंक से पहले घर खरीदने वालों के पैसे वापस मिलेंगे। कोर्ट ने घर खरीदने वाले के पक्ष में फैसला सुनाया है और इस बात का आश्वासन दिया है कि अगर रियल एस्टेेट कंपनी बैंक और खरीददार के साथ डिफॉल्ट करती है तो पहले खरीददार को पैसा वापस मिलेगा और इसके लिए कोर्ट आगे आएगा।
यूनियन बैंक के अपील पर की गई सुनवाई
जस्टिस एमआर शाह और बीवी नागारत्न की बेंच ने ग्राहकों के हक में यह फैसला तब सुनाया जब वह यूनियन बैंक के अपील में सुनवाई कर रहे थे। यूनियन बैंक ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें हाईकोर्ट ने यह कहा है कि, अगर कोई रियल एस्टेट कंपनी डिफॉल्ट करती है जिसके कारण बैंक प्रॉपर्टी से रिकवरी के लिए जाता है तो बिल्डर या प्रमोटर इसकी शिकायत RERA से कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और यूनियन बैंक के अपील को खारिज कर दिया है। हालांकि जस्टिस एमआर शाह और बीवी नागारत्न की बेंच ने इस बात को भी स्पष्ट किया है कि यह फैसला उन्हीं मामलों में लागू होगा जिसमें घर के खरीददारों के अधिकारों के रक्षा हो।
इनसॉल्वेंहसी एंड बैंकरप्सीि कोड में हुआ है बदलाव
केंद्र सरकार ने 2021 में इनसॉल्वेंडसी एंड बैंकरप्सीा कोड (IBC) में बदलाव किया था। जिसमें बकाये के भुगतान में खरीदारों को प्राथमिकता नहीं दी गई है। ऐसे में यह नियम है कि बिल्डर के डिफॉल्ट करने के बाद बैंक वित्तीय कानूनों के आधार पर घर सील कर देता है और घर को अपने कब्जे में करता है। जिसके बाद घर खरीदने वाले ग्राहक को परेशान होना पड़ता है और उसे कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते हैं।