HIGHLIGHTS:
- मध्यप्रदेश के कुण्डलपुर में बन रहा सबसे बड़ा जैन मंदिर
- दमोह जिले के कुंडलपुर में हुआ है निर्माण
- 500 फीट ऊंची पहाड़ी पर हुआ है 189 फीट ऊंचे मंदिर का निर्माण
कुंडलपुर धाम, भारतीय संस्कृति के गौरवपूर्ण इतिहास का साक्षी है। मध्यप्रदेश के दमोह जिले में स्थित यह पवित्र जैन मंदिर भारतीय आस्था का प्रतीक है। इस मंदिर के धार्मिक महत्व को देखते हुए यहां दुनिया का सबसे बड़ा जैन मंदिर बनाया जा रहा है। मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के पर्व को महामहोत्सव के रूप में मनाने की शुरुआत कुंडलपुर धाम में हो चुकी है।
आकर्षक है दुनिया का सबसे बड़ा जैन मंदिर
दमोह के इस जैन मंदिर की आकर्षक नक्काशी खजुराहो और दिलावाड़ा के जैन मंदिर का अहसास करवाएगी। पहाड़ों पर 500 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर 189 फीट ऊंचा है। इस मंदिर के निर्माण में लगभग 600 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जिसमें से 400 करोड़ रुपए अब तक खर्च किए जा चुके हैं। इस मंदिर के निर्माण में सीमेंट और छड़ का प्रयोग नहीं किया गया है। 16 सालों से बन रहे मंदिर के निर्माण में अब तक 12 लाख घन पत्थरों का उपयोग किया जा चुका है। मंदिर का निर्माण नागर शैली में हुआ है, जिसमें राजस्थान के तीन प्रकार के पत्थरों का प्रयोग हुआ है।
क्या कहता है कुंडलपुर का इतिहास?
कुण्डलपुर भारत में जैन तीर्थ के लिए ऐतिहासिक स्थल है। दमोह जिले में शहर से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह स्थल कुंडलगिरी में है। कुण्डलपुर में पद्मासन में बैठे बड़े बाबा (आदिनाथ) की एक प्रतिमा है। इस स्थान पर अति आलौकिक 63 मंदिर हैं जिनके बारे में यह कहा जाता है कि ये करीब आठवीं-नौवीं शताब्दी के हैं। कहते हें कि यह पूरा क्षेत्र 2500 साल पुराना है। इसके साथ ही कुण्डलपुर जी सिद्ध क्षेत्र अंतिम श्रुत केवली श्रीधर केवली की मोक्ष स्थली है और यहां अर्धचन्द्राकार पर्वत पर विराजमान हैं। इस प्राचीन स्थान को सिद्धक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है।
अद्भुत हैं पत्थरों पर उकेरी गई प्रतिमाएं
कुंडलपुर का जैन मंदिर खूबसूरत नक्काशी का बेमिसाल नमूना है। जिसका निर्माण जैसलमेर के मूल सागर पत्थरों से हुआ है। गुण मंडप में देवी-देवताओं और नृत्यांगना आदि की मूर्तियों को बड़े ही सुंदर तरीके से उकेरा गया है।
हेलीकॉप्टर से भी दर्शन की सुविधा
कुण्डलपुर में हवा से देव दर्शन के लिए हेलिकॉप्टर सेवा की शुरूआत की गई है। हेलीकॉप्टर से दर्शन के लिए 3100 रुपए की राशि रखी गई है। इससे जैन तीर्थ के सबसे ऊंचे जिनालय पर 1000 हजार फीट ऊपर से पुष्पवर्षा करने का मौका भी मिलेगा।