श्रीनिवास रामानुजन एक भारतीय गणितज्ञ थे जिन्हें उनकी गणितीय प्रतिभा और योगदान के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई महत्वपूर्ण खोजें कीं, और उनकी रचनाएं आज भी गणितज्ञों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर, 1887 को इरोड, भारत में हुआ था। उनके पिता एक क्लर्क थे और उनकी माँ एक गृहिणी थीं। रामानुजन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एक स्थानीय स्कूल में प्राप्त की, लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण उन्हें जल्द ही स्कूल छोड़ना पड़ा।

 वह आत्म-शिक्षित थे। रामानुजन ने गणित सीखने के लिए अपने पिता की पुस्तकालय का उपयोग किया। उन्होंने किताबों और पत्रिकाओं में गणित के विषयों का अध्ययन किया, और उन्होंने अपने स्वयं के गणितीय सिद्धांत भी विकसित किए।

उन्होंने 20 साल की उम्र में अपनी पहली गणितीय खोज की। 1907 में, रामानुजन ने अनंत श्रृंखला के बारे में एक महत्वपूर्ण खोज की। उनकी खोज ने उन्हें भारतीय गणितज्ञों का ध्यान आकर्षित किया।

उन्होंने इंग्लैंड में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। 1913 में, रामानुजन को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति मिली। उन्होंने प्रसिद्ध गणितज्ञ जी.एच. हार्डी से अध्ययन किया।

उनकी गणनाओं की सटीकता आश्चर्यजनक थी। रामानुजन की गणनाएं इतनी सटीक थीं कि उन्हें कभी-कभी "गणित का गूढ़ रहस्य" कहा जाता था। उन्होंने कई जटिल गणितीय समस्याओं को हल किया जो उस समय गणितज्ञों के लिए भी मुश्किल थीं।

उनकी मृत्यु मात्र 32 वर्ष की आयु में हुई। रामानुजन को 26 अप्रैल, 1920 को क्षय रोग से मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु गणित की दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति थी।