बचपन में कार खरीदने का सपना देखने वाले महाराष्ट्र के छोटे से गांव यवतमाल के निवासी 27 वर्षीय हर्षल, ने 'शार्क टैंक इंडिया 3' में अपने उद्यमशीलता के सपने 'एआई कार्स' को प्रस्तुत किया. यह भारत का पहला आर्टीफिशिल इंटेलिजेंस वाला हाइड्रोजन आधारित व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग स्टार्टअप (Startup) है.
बिजनेस रियलिटी शो 'शार्क टैंक इंडिया' सीजन 3 (Shark Tank India-3) में हर्षल महादेव नक्शने ने 'एआई कार्स' (AI Cars) की पिच दी
बचपन में कार खरीदने का सपना देखने वाले महाराष्ट्र के छोटे से गांव यवतमाल के निवासी 27 वर्षीय हर्षल, ने 'शार्क टैंक इंडिया 3' में अपने उद्यमशीलता के सपने 'एआई कार्स' को प्रस्तुत किया.
हर्षल की यात्रा 19 साल की उम्र में शुरू हुई, जिसने एक वैश्विक ऑटोमोबाइल कंपनी बनाने के उनके जुनून को बढ़ाया. सिर्फ 18 महीनों में घर के पीछे एक छोटे से गैराज में इस कार को बनाया गया है
इसे बनाने में करीब 60 लाख रुपये लगे. दोस्त और परिवार के अलावा अपने एक दूसरे बिजनेस से हुई कमाई का इस्तेमाल किया.
इसमें हाइड्रोजन फ्यूल सेल इस्तेमाल होते हैं. बता दें कि जहां एक ओर इलेक्ट्रिक व्हीकल को चार्ज होने में औसतन 5-6 घंटे तक लगते हैं
वहीं हाइड्रोजन फ्यूलिंग में महज 3-5 मिनट का वक्त लगता है. इतने में ही 1000 किलोमीटर से भी अधिक की माइलेज मिल जाती है
हर्षल ने बनाया कि उनकी यह कार ऑटोमेटिक है, जो भारत के रास्तों पर खुद ही चल सकती है. यहां तक कि उन्होंने तमाम शार्क को एक टेस्ट ड्राइव भी दी. नॉर्मल ऑटोमेटिक कार का एआई लेन सिस्टम पर काम करता है
विदेशी कंपनियों के एआई 'लिडार' (Lidar) इस्तेमाल करते हैं, जबकि इस कार में 3डी कैमरा और अल्ट्रासोनिक सेंटर के जरिए यह काम होता है. टेस्ला ने भी अब 3डी कैमरा पर शिफ्ट किया है
ऑटोमोटिव क्षेत्र में बदलाव लाने का लक्ष्य रखते हुए, हर्षल ने अपने इस स्टार्टअप का 4 फीसदी देने के बदले 2 करोड़ रुपये की मांग रखी. पिच ने शार्क्स के साथ तालमेल बिठाया, संस्थापक बिना किसी सौदे के टैंक से बाहर चले गए.
अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए हर्षल ने कहा, "हमारे ब्रांड एआई कार्स के साथ 'शार्क टैंक' में भाग लेना युवा उद्यमियों के लिए एक जबरदस्त अवसर है. जबकि शार्क केवल राजस्व उत्पन्न करने वाली कंपनियों में निवेश करते हैं."