जर्मन लेखिका जेनी एर्पन्बैक और ट्रांसलेटर माइकल हॉफमैन को इस साल का बुकर प्राइज दिया गया है।
मैन बुकर प्राइज 2004 ‘कैरोस’ किताब के लिए दिया गया है।
जेनी एर्पन्बैक को विनिंग प्राइज के रूप में 50 हजार पाउंड यानी कि लगभग 50 लाख रुपए मिलेंगे।
जेनी पहली जर्मन लेखिका हैं जिन्हें ये सम्मान दिया गया है वहीं माइकल हाफमैन भी ये पुरस्कार पाने वाले पहल पुरुष बन गए हैं।
57 साल की
जेनी जर्मनी
के बर्लिन में जन्मीं हैं। राइटर बनने से पहले वो ओपेरा की निर्देशक थीं।
जेनी की किताबों में ‘The End of Days’ और ‘Go, Went, Gone’ जैसी किताबें शामिल हैं।
बुकर प्राइज हर साल दिया जाता है। इस सम्मान के लिए शर्त ये है कि किताब यूके या आयरलैंड में छपी होनी चाहिए।
पहला बुकर पुरस्कार यूके के P. H. Newby को मिला था।
भारत में पहली बार ये प्राइज वी.एस. नायपॉल को 1971 में उनकी किताब इन ए फ्री स्टेट के लिए दिया गया था।