NASA और बोइंग बना रहे हैं फ्यूल की बचत करने वाला प्लेन, हो सकती है हवाई सफर सस्ती !


NASA और बोइंग मिलकर हवाई सफर को सस्ता बनाने वाले हैं। दरअसल, नासा और बोइंग एक साथ मिलकर एमिशन कम करने वाले सिंगल-आइजल विमान के निर्माण, टेस्टिंग और फ्लाइंग के लिए सस्टेनेबल फ्लाइट डेमॉन्स्ट्रेटर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। नासा ने हाल ही में इस पार्टनरशिप की जानकारी दी है। ये विमान पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाने के साथ फ्यूल की बचत का काम करेंगे। जिससे हवाई सफर सस्ता होगा।

NASA का 42.5 करोड़ डॉलर का निवेश

42.5 करोड़ डॉलर के निवेश वाला नासा का यह प्रोजेक्ट 7 सालों में पूरा होगा। जबकि कंपनी और उसके पार्टनर, एग्रीमेंट के तहत तय की गई फंडिंग के बचे भाग (करीब 72.5 करोड़) में अपना योगदान देंगे। इसके अलावा नासा टेक्निकल एक्सपर्टाइज और फैसिलिटीज में भी अपनी सहभागिता देगा। नासा एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन की तरफ से कहा गया है कि ‘अगर हम सफल होते हैं, तो हम इन तकनीकों को 2030 तक विमानों में देखेंगे।

एक्स्ट्रा लॉन्ग थिन विंग कॉन्सेप्ट

ट्रांसोनिक ट्रस-ब्रेस्ड विंग कॉन्सेप्ट में विमान के एक्स्ट्रा लॉन्ग थिन विंग होते हैं जो डायगोनल स्ट्रट्स पर कॉनस्टेंट होते हैं। यह डिजाइन विमान को एक ट्रेडिशनल एयरलाइनर की तुलना में ज्यादा फ्यूल एफिशिएंट देता है। दरअसल, इस शेप से कम ड्रैग पैदा होंगे जिसके कारण कम फ्यूल जलेगा। साथ ही कई और ग्रीन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल प्लेन को बनाने में किया जाएगा।

30% एमिशन कम होने के साथ ही फ्यूल की बचत

नासा यह उम्मीद कर रहा है कि फ्लाइट डेमॉन्स्ट्रेटर मौजूदा सबसे कुशल सिंगल-आइजल विमान की तुलना में फ्यूल की खपत कम हो सकती है। कितनी कम होगी इस पर फिलहाल कोई जानकारी नहीं है। वहीं इसके साथ ही यह उत्सर्जन (एमिशन) में भी लगभग 30% की कमी लाएगा।

इस इनोवेशन को आकार देने वाली टीम की तरफ से कहा गया है कि फ्यूल की बचत न केवल पृथ्वी के लिए लाभदायक होगी बल्कि प्लेन में ट्रैवल करने वाले यात्रियों को भी सस्ते टिकट का लाभ देगी। बोइंग का अनुमान है कि 2035 और 2050 के बीच नए सिंगल-आइजल एयरक्राफ्ट की मांग में 40,000 प्लेन की बढ़ोत्तरी होगी।

NASA ने बनाया विंगलेट

1970 के दशक में नासा विंगलेट्स नाम की एक टेक्नोलॉजी बनाई थी। विंगटिप्स के वर्टिकल एक्सटेंशन को विंगलेट्स कहा जाता है। दुनियाभर में सभी प्रकार के विमानों में इसका उपयोग होता है। इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से फ्यूल की काफी बचत की जाती है। छोटे एयरफॉइल्स के रूप में ये डिजाइन किए गए, विंगलेट्स एयरोडायनमिक ड्रैग को कम करते हैं। ड्रैग के कम होने से ईंधन की खपत कम होती है।

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Dr. Kirti Sisodhia

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