Google में नौकरी पाने वाले इस युवा की कहानी है प्रेरणादायी!

Google की नौकरी कई युवाओं के लिए ड्रीम जॉब है। अच्छा सैलरी पैकेज, सुविधाएं और दुनिया की टॉप कंपनी का आकर्षण नई पीढ़ी को आकर्षित करती है। हर साल हजारों प्रोफेशनल्स गूगल में नौकरी के लिए आवेदन करते हैं। उनमें से कुछ टैलेंटेड लोगों को अच्छी पे-स्केल पर नौकरी भी मिल जाती है। आपको बता दें कि गूगल में जॉब के लिए कई चरणों के इंटरव्यू और स्किल टेस्ट से होकर गुजरना होता है।

हम आपको ये बात इसलिए बता रहे हैं क्योंकि हमारी आज की कहानी भी ऐसे ही एक टैलेंट की है जिन्हें गूगल में नौकरी मिली है। ये स्टोरी है प्रणव नायर (Pranav Nair) की, जिन्हें गूगल में नौकरी मिली है। लेकिन प्रणव की सिचुएशन और कहानी दोनों ही दूसरे युवाओं से स्पेशल और संघर्ष से भरी है। जानते हैं कैसे…

पहले जानते हैं कौन हैं प्रणव नायर?

प्रणव 22 साल के हैं और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी गुवाहाटी (IITG) के स्टूडेंट हैं। प्रणव की कहानी हिम्मत, दृढ़ संकल्प, माता-पिता का साथ और इंस्टीट्यूट के अटूट समर्थन से बनी एक खूबसूरत कहानी है। क्योंकि प्रणव सेरेब्रल पाल्सी जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। बावजूद इसके उन्होंने दूसरे युवाओं की तरह कुछ कर गुजरने की चाह और मेहनत से अपना रास्ता खोज लिया।

सेरेब्रल पाल्सी क्या है?

सेरेब्रल पाल्सी (CP) जीवन भर रहने वाली फिजिकल डिसएबिलीटी है। ये किसी व्यक्ति के पोस्चर, बैलेंस और चलने, बात करने, खाने, सोने और सीखने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है। सेलेब्रल पाल्सी (cerebral palsy) की वजह से कई लोगों को ब्रेसिज़ या व्हीलचेयर जैसे सहायक उपकरणों की जरूरत होती है। सेरेब्रल पाल्सी में सबसे कम गंभीर रूप माइल्ड स्पास्टिक डिप्लेजिया है। यह पैरों को मुख्य रूप से प्रभावित करता है।

शुरूआत रही मुश्किल  

आईआईटी (IIT) जैसे संस्थान से पढ़ाई और गूगल (Google) में नौकरी पाने वाले प्रणव को काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा। सेलेब्रल पाल्सी (cerebral palsy) के बारे में जानने के बाद आप जान ही गए होंगे कि प्रणव की शुरूआत कैसी रही होगी। पढ़ाई-लिखाई में कई तरह की परेशानियां प्रणव को होती थीं। बावजूद इसके उनके माता-पिता ने प्रणव को आम बच्चों के स्कूल में एडमिशन करवाया। इसके लिए उन्हें कई दिक्कतें हुईं। स्कूल उन्हें एडमिशन देने से इनकार कर देते थे। प्रणव बचपन भी आसान नहीं था। उन्हें चलने के लिए व्हीलचेयर पर डिपेंडेंट रहना पड़ता था।

कैसे मिली इंजीनियर बनने की प्रेरणा?

प्रणव (Pranav Nair) के एक चैनल में साक्षात्कार के अनुसार पहले वो डॉक्टर बनना चाहते थे। लेकिन माता-पिता का एक सुझाव उन्हें काफी पसंद आया। दरअसल उनके पैरेंट्स ने उन्हें ये समझाया कि वो कोई ऐसा क्षेत्र चुनें जहाँ उनकी काबिलियतें सीमित न हों। कंप्यूटर में उनकी रुचि बढ़ी और वो सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने की तरफ बढ़ गए। आईआईटी में कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में सीट मिलने के बाद प्रणव का जीवन काफी हद तक बदला।

कैसे किया खुद को साबित?

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी गुवाहाटी (IITG) का माहौल उनके लिए काफी नया था। लेकिन नई टेक्नोलॉजी ने प्रणव की ज़िंदगी को आसान बनाने में हेल्प किया। यही वजह है कि आज प्रणव चाहते हैं कि तकनीक को हर किसी के लिए सुलभ बनाया जाए। IIT गुवाहाटी में मिलने वाले प्लेसमेंट, हैकाथॉन, इंटर-IIT जैसे मौकों ने उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

गूगल में मिली नौकरी

प्रणव की काबिलियत से उन्हे गूगल से ही प्री प्लेसमेंट ऑफर मिल गया। प्रणव जुलाई में ग्रेजुएशन पूरा कर लेंगे। जिसके बाद वो बेंगलुरु में गूगल (Google) जॉइन करेंगे। इसके अलावा प्रणव की IITG में सफलता की कहानी में गूगल के ऑन-कैंपस हायरिंग के दौरान दो इंटर्नशिप हासिल करना भी शामिल है।

Positive सार

प्रणव एक ऐसी कहानी का हिस्सा हैं जहां संभावनाओं के कई द्वार दिखते हैं। ऐसे युवाओं के लिए जो वाकई में कुछ करना चाहते हैं और उन्हें अपने सामने चुनौतियों का आसमान दिखता होगा। प्रणव सिर्फ शारीरिक चुनौतियों से ही नहीं जीते हैं बल्कि वे सीमाओं को तोड़कर मुश्किलों के सामने भी बेहतरीन हासिल की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुए हैं।

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Rishita Diwan

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