HIGHLIGHTS:
• सुरक्षित रहेंगी आपकी पर्सनल डिटेल्स
• डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 का ड्राफ्ट तैयार
• सरकार ने पेश किया बिल का ड्राफ्ट
भारत सरकार आपकी पर्सनल डिटेल्स की सुरक्षा के लिए कदम उठा रही है। जिसके तहत केंद्र सरकार ने 21 नवंबर को ‘डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022’ का ड्राफ्ट प्रस्तुत किया है। दरअसल यह बिल डिजिटल पर्सनल डेटा का रेगुलेशन प्रोवाइड करेगा। बिल से लोगों को अपने पर्सनल डेटा को प्रोटेक्ट करने का अधिकार और वैध उद्देश्यों के लिए पर्सनल डेटा को प्रोसेस करने की आवश्यकता दोनों को मान्यता मिलेगी। बता दें इस बिल के जरिए सरकार ने लोगों के पर्सनल डेटा का गलत इस्तेमाल करने वाली यानी कानून तोड़ने वाली कंपनियों पर पेनल्टी की राशि बढ़ाकर 500 करोड़ रुपए तक की है।
पुराना डेटा प्रोटेक्शन बिल रद्द
पिछला डेटा प्रोटेक्शन बिल इस साल की शुरुआत में संसदीय मानसून सत्र के दौरान रद्द किया गया था। अब मंत्रालय ने इसे बदलकर पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल कर दिया है। यह बिल पूरी तरह से यूजर डेटा से जुड़े कानूनों पर बेस्ड है।
केंद्रीय रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर इस नये नियम की जानकारी दी है। साथ ही उन्होंने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 के ड्राफ्ट पर लोगों से राय भी मांगी है।
लोगों का पर्सनल डेटा अपने पास नहीं रखें कंपनियां
डिजिटल पर्सनल डेटा बिल में यह साफ किया गया है कि डेटा इकट्ठा करने वाली कंपनियों को पर्सनल डेटा को अपने पास रखना बंद करना होगा। कंपनियों को उन साधनों को हटाना होगा, जिनके द्वारा पर्सनल डेटा को विशेष डेटा प्रिंसिपल के साथ जोड़ा जा सकता है।
बायोमेट्रिक डेटा के लिए जरूरी होगी सहमति
ड्राफ्ट में यह भी बताया गया है कि लीगल या बिजनेस उद्देश्यों के लिए आवश्यक नहीं होने पर यूजर्स के डेटा अपने पास नहीं रखे जाने चाहिए। नया पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल बायोमेट्रिक डेटा के मालिक को पूरी तरह अधिकार भी देता है।
यहां तक कि अगर किसी कंपनी को उपस्थिति मार्क के लिए किसी एम्प्लॉई के बायोमेट्रिक डेटा की जरूरत होगी, तो उसे स्पष्ट रूप से कर्मचारी से सहमति की भी जरूरत होगी।
KYC डेटा को प्रभावित करेगा नया बिल
नया पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल KYC डेटा पर असर डालेगा। हर बार सेविंग अकाउंट खोलने पर KYC प्रोसेस को पूरा करने के लिए प्रतिबंध जरूरी होता है। इस प्रोसेस के तहत इकट्ठा किया गया डेटा भी नए डेटा प्रोटेक्शन बिल के दायरे में आ जाएगा। बैंक को अकाउंट बंद करने के 6 महीने से ज्यादा समय के लिए KYC डेटा को बनाकर रखना होगा।
बच्चों के लिए भी इस नियम के तहत नई तरह चीजें जोड़ी गई हैं। जिसमें बच्चों के पर्सनल डेटा को इकट्ठा करने और बनाए रखने के लिए नियमों का एक नया सेट तैयार किया गया है। डेटा मांगने वाली कंपनियों को डेटा तक पहुंचने के लिए माता-पिता या अभिभावक की सहमति की जरूरत होगी। सोशल मीडिया कंपनियों को इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि टारगेटेड एडवर्टाइजमेंट के लिए बच्चों के डेटा ट्रैक नहीं हो रहे हैं।