बच्चों को सेल्फ डिसीजन मेकर बनाने की दिशा में करें काम, भविष्य के लिए होंगे तैयार!



भारतीय बच्चे माता-पिता के रहते डिपेंडेंट ही बने रहते हैं। दरअसल हमारी भारतीय परवरिश में यह शामिल है कि हम अपने बच्चों को हमेशा संरक्षण देना चाहते हैं। हमारे आस-पास कई ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे जहां तीस वर्ष के युवा भी अपनी फायनेंशियल डिसीजन खुद नहीं लेते हैं।

माता-पिता अक्सर ऐसी धारणा रखते हैं कि बच्चा या बच्ची अभी मैच्योर नहीं हुआ है, और उसका डिसीजन गलत हो सकता है। अभिभावक अपने बच्चे की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं। बच्चे की लाइफ में कोई भी गलत निर्णय नहीं चाहते, और वे अपने अनुभव को श्रेष्ठ मानते हैं।

लेकिन माता-पिता की यह सोच तब परेशानी बन जाती है जब बच्चे / युवा इसे अपनी आदत बना लेते हैं। वे माता-पिता पर खुद को पूरी तरह सरेंडर कर देते हैं। ऐसी स्थति में बच्चों की सोच का विकास रुक जाता है, और वो हर छोटी-छोटी चीज के लिए माता-पिता की तरफ देखने लगते हैं। ये कहीं न कहीं उनके विकास में अवरोधक साबित होता है। इसके लिए सही समय पर काम करना बेहद जरूरी है। बच्चों का विकास तब होगा जब उन्हें डिसीजन मेकर बनने में हेल्प करेंगे।

बच्चों को बनाएं डिसीजन-मेकर

छोट-छोटे डिसीजन से शुरूआत करें। उन्हें निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करें, खराब डिसीजन के लिए क्रिटिसाइज बिल्कुल न करें, बल्कि उन्हें सीखने को कहें। बच्चे भले ही गलत निर्णय ले सकते हैं। पर उन्हें बताएं कि गलती करना कोई बड़ी बात नहीं बस उन्हें दोहराने से बचे।

बच्चों को रोजमर्रा के फैसलों में शामिल करें। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा। उनके निर्णयों से मिली छोटी-छोटी सफलता या ग्रोथ उनके मनोबल को बढ़ाने का काम करेगी। जैसे घर में रंगने वाले रंगों से लेकर उनके पहनने के लिए कपड़े, खाने में पसंद सभी बातों को तरजीह दें।

सही और गलत का अंतर बच्चों को समझाएं। उनसे बात करें। उन्हें चयन का मौका दें कि वे सही और गलत का चयन कर सके। असल और नकल की परिभाषा से बच्चों को बोध कराएं। इसी तरह से बच्चे धीरे-धीरे चीजों को सीखते हुए निर्णय लेने में आत्मनिर्भर बनेंगे।

तो देरी किस बात की! आज से ही अपने बच्चों को जीवन का सबसे बड़ा तोहफा: आत्मनिर्भरता: देना शुरू करें। मैंने अपने दोनों बच्चों के साथ यही करने का प्रयास किया है।

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Dr. Kirti Sisodhia

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