Artemis 1 Mission: नासा का आर्टेमिस-1 मिशन इंसानों को चंद्रमा की यात्रा कराकर वापस लाने की तरफ कदम बढ़ा रहा है। इस मिशन को 29 अगस्त 2022 को रवाना किया गया। नासा (NASA) की अतंरिक्ष प्रक्षेपण प्रणाली और ऑरियन क्रू कैप्सूल के लिए यह अहम यात्रा है। यह अंतरिक्ष यान चंद्रमा तक जाकर कुछ छोटे सैटेलाइट को कक्षा में छोड़ेगा और खुद कक्षा में स्थापित होगा।
इस मिशन से नासा (NASA) का उद्देश्य अंतरिक्ष यान के परिचालन का प्रशिक्षण प्राप्त करना और चंद्रमा के आसपास अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा अनुभव किए जाने वाले हालात को जांचना है। इसके साथ ही यह भी होगा कि अंतरिक्ष यान और उसमें सवार सभी अंतरिक्ष यात्रा सुरक्षित तरीके से पृथ्वी पर वापस आ सकें।
Artemis 1 Mission में लगे हैं शक्तिशाली इंजन
आर्टेमिस-1 नई अंतरिक्ष प्रक्षेपण प्रणाली की पहली उड़ान है। यह हेवी लिफ्ट (भारी वस्तु कक्षा में स्थापित करने में सक्षम) रॉकेट की तरह है। नासा (NASA) के अनुसार इसमें अब तक प्रक्षेपित रॉकेटों के मुकाबले सबसे शक्तिशाली इंजन लगाए गए हैं। यहां तक कि यह रॉकेट साल 1960 एवं 1970 के दशक में चंद्रमा पर मनुष्यों को पहुंचाने वाले अपोलो मिशन के सैटर्न प्रणाली से भी ज्यादा शक्तिशाली है।
Artemis 1 की खासियत
यह नई तरह की रॉकेट प्रणाल है क्योंकि इसके मुख्य इंजन दोनों तरल ऑक्सीजन और हाइड्रोजन प्रणाली का मिलाजुला रूप है। साथ ही अंतरिक्ष यान से प्रेरणा लेकर दो ठोस रॉकेट बूस्टर भी इसमें लगाए गए हैं। यह वास्तव में अंतरिक्ष यान (स्पेस शटल) और अपोलों के सैटर्न पंचम रॉकेट को मिलाकर तैयार किया गया हाइब्रिड स्वरूप है। यह परीक्षण बहुत अहम क्योंकि ऑरियन क्रून कैप्सूल का वास्तविक काम देखने को मिलेगा। यह प्रशिक्षण चंद्रमा के अंतरिक्ष वातावरण में करीब एक महीने के लिए होगा।
यह कैप्सूल के ऊष्मा रोधक कवच (हीट शिल्ड) के परीक्षण के लिए भी इंपार्टेंट है। जो कि 25 हजार मील प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी पर लौटते समय घर्षण से उत्पन्न होन वाली गर्मी से कैप्सूल और उसमें मौजूद लोगों को बचाएगा। पोलो के बाद यह सबसे तेज गति से यात्रा करने वाला कैप्सूल है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि गर्मी रोधी कवच ठीक से काम करेगा। यह मिशन अपने साथ छोटे सैटेलाइट की सीरीज को ले गया जिन्हें चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया जाएगा।