Indian Rupee printing: रुपए पैसे ऐसी चीज है जिसके बिना आजकल कोई काम नहीं होता है। यही वजह है कि हर आदमी खूब रुपए कमाना चाहता है। ऐसी ही फिराक में कई बार आपने कुछ नकली नोटों के गिरोहों के बारे में भी सुना होगा जिन पर पुलिस कड़ी कार्यवाई करती है। इस बात के बाद आपके दिमाग में ये सवाल जरूर आया होगा कि अगर नकली नोटों की पहचान की जा सकती है तो असली नोट कैसे बनाए जाते होंगे। तो इसका जवाब हम दे रहे हैं…
कैसे अलग होते हैं नोटों के कागज और स्याही?
बचपन में आपने भी जरूर नकली नोटों की गड्डियों से खेल खेले होंगे। तब क्या आपको ये असली नोटों के जैसे नहीं लगते थे। रंग एक जैसा, प्रिंट एक जैसा, सबकुछ एक जैसा। लेकिन असली में भारतीय रुपए अलग होते हैं। इन्हें छापने के लिए अलग स्याही और कागज का इस्तेमाल होता है।
हर नोट के कागज और रंग अलग
भारतीय रुपयों के प्रिंटिंग (Indian Rupee printing) की बात करें तो आपको ये जानकर हैरानी होगी कि भारत में ₹1 से लेकर ₹2000 तक के नोटों की छपाई अलग-अलग तरह से होती है। आपने देखा ही होगा इनमें अलग-अलग नोटों के अलग-अलग टाइप नजर आते हैं। यानी कि हर नोट का कागज और कलर एकदम अलग होता है।
भारत में यहां छापे जाते हैं नोट
भारतीय नोटों की छपाई (Indian Rupee printing) की बात करें तो भारत में कुल चार प्रिंटिंग प्रेस मौजूद हैं। ये जगहें हैं मध्यप्रदेश में देवास, महाराष्ट्र में नासिक, पश्चिम बंगाल में सलबोनी और कर्नाटक के मैसूर हैं। इनमें से दो प्रिंटिंग प्रेस भारतीय सरकार के वित्त मंत्रालय के तहत काम करते हैं। वहीं बाकी के दो प्रिंटिंग प्रेस रिजर्व बैंक आफ इंडिया (RBI) के तहत काम करते हैं। देवास और नासिक भारत सरकार के अंतर्गत काम करती है। सलबोनी और मैसूर प्रिंटिंग प्रेस भारतीय रिजर्व बैंक की सब्सिडियरी कंपनी रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड के अधीन काम करती है।
अब बात करते हैं स्याही की
नोट छापने के लिए जिस स्याही का इस्तेमाल होता है वो मध्य प्रदेश के देवास में तैयार होती है। नोट पर जो गहरी स्याही की छपाई की जाती है उसे स्विट्जरलैंड की कंपनी SICPA बनाती है। ये कंपनी सिक्किम राज्य में स्थित है। विदेश से आने वाली स्याही के मिश्रण में बदलाव किया जाता है ताकि उसकी नकल ना की जा सके।
READ MORE- Stress दूर करने के लिए अपनाएं ये 6 आदतें
नोट में इस्तेमाल होने वाला कागज
भारतीय नोटों की छपाई (Indian Rupee printing) के लिए जिस कागज का इस्तेमाल किया जाता है वो विदेशों से मंगवाया जाता है। ये कागज मुख्यत: यूनाइटेड किंगडम, जापान और जर्मनी से मंगवाए जाते हैं। RBI के अनुसार करीब 80% नोटों को छापने के लिए कागज विदेश से मंगवाया जाता है। वहीं 20% कागज भारत में ही तैयार होता है। भारत में कागज बनाने की सिर्फ एक ही कंपनी है, जो मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में स्थित है। इस पेपर मिल में स्टांप पेपर और नोटों के कागज बनाए जाते हैं।
Seepositive की कोशिश है कि आपको सकारात्मक और जरूरी जानकारी मिलती रहे। हमारी ये जानकारी आपको कैसी लगी हमें फीडबैक जरूर दीजिए। साथ ही आप हमें ईमेल के जरिए ये भी बता सकते हैं।