बसंत पंचमी पर्व है बसंत के आगमन के स्वागत का। बसंत के साथ जुड़ा है, नया मौसम, पीला रंग, सरसों और सूर्य की ऊर्जा ये सब मिलकर खास बनाते है बसंत को।
बदलाव प्रकृति का शाश्वत सच है। प्रकृति अपने दिन, रात और ऋतुओं के चक्र से जीवन में बदलाव के महत्व के नियम को समझाती है।
हर बदलाव कुछ नया और अच्छा लेकर आता है।
बसंत पंचमी से बसंत ऋतु का आगमन होता है, पीले रंग का बसंत से गहरा नाता है। कहा जाता है माँ सरस्वती का प्रिय रंग पीला है हालांकि, उन्हें हमेशा सफेद वस्त्र में ही चित्रित किया गया है लेकिन उनकी पूजा में पीले फूल और मिठाई चढ़ाई जाती है।
माँ सरस्वती को ज्ञान, वाणी और संगीत की देवी के रूप में पूजा जाता है। जीवन के तीन अमूल्य स्तंभ की महत्वता समझाने वाला ये पर्व बदलाव की परिभाषा को भलीभांति परिभाषित करता है।
ज्ञान और वाणी से बड़ी-से-बड़ी सकारात्मक और जनकल्याणकारी क्रांति समाज में लाई जा सकती है।
और संगीत में वो जादू है जो कठिन से कठिन परिस्थिति में संयम और ठहराव पैदा कर सकता है। संगीत ईश्वर से जुड़ने का माध्यम है।
बसंत में पीला रंग ,सरसों के फूल, सूर्य की किरणों का तेज, सकारात्मक और ऊर्जा से भर जाने का प्रतीक है।
ऋतुओं का एक निश्चित समय पर बदलना और अलग-अलग तरह से नये परिवेश में जीवन में नया संचार प्रवाहित करना, प्रकृति कितनी खूबसूरती और सरलता से बदलाव की विशेषतायें हमारे सामने रखती हैं। और हर साल समय-समय पे हमें याद दिलाने का भी काम करती हैं।
पिछले कुछ समय में हम सभी प्रकृति के क़रीब तो आये हैं लेकिन तकनीकी दौड़-धूप में इसका साथ ना छुटने पाये इस बात का ख्याल हमें रखना है। त्यौहार की खूबसूरती और बढ़ जाती है जब हम उसमें छिपे भावनात्मक रहस्यों को आत्मसात कर पाते हैं।
इस बसंत पंचमी अपने अंदर के बसंत का स्वागत करते हैं और उसे जीने का प्रयास करते हैं।
-बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें!!
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