- प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देगी सरकार
- बजट 2022 में की गई प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की बात
भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को देश का बजट प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने बजट में किसानों से जुड़ी कई अहम घोषणाएं कीं। उन्होंने रबी और खरीफ फसल का संरक्षण, किसानों के खातों में 2.37 लाख करोड़ रुपये की एमएसपी ट्रांसफर और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा जैसी घोषणाएं की। उन्होंने गंगा के किनारे बसे किसानों के लिए 5 किलोमीटर चौड़ा कॉरिडोर बनाने की बात भी की। आइए जानते हैं क्या है प्राकृतिक खेती और इससे किसानों को कैसे मिलेगा फायदा।
प्राकृतिक खेती यानी कि नेचुरल फार्मिंग। खेती की यह प्रक्रिया पूरी तरह से रसायन फ्री होती है। इस खेती में प्राकृतिक रुप से तैयार किए गए उर्वरक और कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। नेचुरल फार्मिंग की प्रक्रिया से मिट्टी की सेहत में सुधार होता है। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, मार्च 2020 तक लगभग 2.78 मिलियन हेक्टेयर में जैविक खेती हो रही है। यह देश में 140.1 मिलियन हेक्टेयर शुद्ध बुवाई क्षेत्र का दो फीसदी है। वहीं सिक्किम एकमात्र ऐसा भारतीय राज्य है जो अब तक पूरी तरह से जैविक खेती करता है। इसके अलावा शीर्ष तीन राज्यों - मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में जैविक खेती के तहत लगभग आधा क्षेत्र आता है। हाल ही में गुजरात सरकार ने डांग के आदिवासी जिले को 100% प्राकृतिक खेती वाला जिला बनाने की भी घोषणा की थी। आने वाले पांच वर्षों में, डांग जिले के लगभग 53,000 हेक्टेयर को प्राकृतिक खेती के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।
- भूमि की उपजाऊ क्षमता बढ़ती है साथ ही सिंचाई के अंतराल में वृद्धि होती है।
- रासायनिक खाद की निर्भरता कम होने से लागत में कमी आती है जिससे किसान आर्थिक बोझ कम होता है।
- फसलों की उत्पादकता बढ़ती है।
- जैविक उत्पादों की मांग बढ़ती है तो किसानों की आय भी बढ़ती है।
- जैविक खाद के उपयोग करने से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता और भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती है।
- भूमि जलस्तर में वृद्धि होती है।
- मिट्टी, फसल और जमीन में पानी से होने वाले प्रदूषण में कमी आती है।
- कचरे का उपयोग, खाद बनाने में होता है जिससे बीमारियों में कमी आती है।
- फसल उत्पादन की लागत में कमी और आय में वृद्धि भी प्राकृतिक खेती के फायदे हैं।
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