टूरिस्ट प्लेस पर सफाई रखना हर पर्यटक की पहली जिम्मेदारी है, लेकिन आमतौर पर देखा जाता है कि लोग टूरिस्ट प्लेस पर जाकर अपनी सहूलियतों का ज्यादा ख्याल रखते हैं, वे कचरे और वेस्ट चीजों को यहां वहां फेंक देते हैं। इससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है।
इसके अलावा किसी भी टूरिस्ट प्लेस पर जाकर गंदगी और दूषित हवा-पानी की शिकायत भी लोग खुद ही करने लगते हैं। लेकिन सवाल ये है कि इन खूबसूरत जगहों को दूषित करता कौन और इसे ठीक करने का इनिशिएटिव कितने लोग लेते हैं, लेकिन भारत में एक युवा है जो पर्यटन क्षेत्र के कचरे को साफ करता है साथ लोगों को भी प्रेरित करता है कि पृथ्वी हमारी है और इसके हर कोने को साफ रखना हमारी जिम्मेदारी है।
हिमालय को बचा रही प्रदीप सांगवान की ‘हीलिंग हिमालय’
हरियाणा के प्रदीप सांगवान, पिछले सात सालों से हिमाचल के पहाड़ों के लिए ‘हीलिंग हिमालय’ मिशन चला रहे हैं। इस मिशन के ज़रिए वह पहाड़ों से नॉन बायोडिग्रेडेबल वेस्ट कम करके इसी खूबसूरती को बचाने की कोशिशों में लगे हैं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के हजारों लोगों में जागरूकता लाकर उन्हें अपने मिशन ‘हीलिंग हिमालय’ से जोड़ा है।
उनकी इस मुहिम से आज हजारों पहाड़ों को बचाने की प्रेरणा ले रहे हैं। इसमें हिमाचल प्रदेश का स्थानीय प्रशासन और यहां घूमने आए टूरिस्ट भी काम करते हैं। उनकी पहल पर अब तक हिमाचल की वादियों से करीब 800 टन Non Biodegradable Waste जमा करके इसे रीसायकल होने के लिए भेजा जा चुका है।
इस काम की शुरुआत प्रदीप ने अकेले ही ट्रेकिंग साइट्स से कचरा उठाने से की। धीरे-धीरे उन्होंने लोगों को समझाया कि जिस कचरे को वे फालतू समझकर यूँ ही फेंक देते हैं, वह हवा से उड़कर पत्थरों और चट्टानों के बीच फंसता है। बाद में इसे हटाना काफी मुश्किल होता है। लोगों को समझाने के साथ उन्होंने हिमालय के पहाड़ों में क्लीनिंग ड्राइव शुरू किया।
प्रदीप ने बातचीत में बताया कि उनके काम की सबसे बड़ी चुनौती ये थी कि किसी काम को लगन के साथ लम्बे समय तक करते रहना ही सबसे बड़ा टास्क था। वे ये भी कहते हैं कि जब तक लोग आपको गंभीर होते नहीं देखेंगे, वे खुद भी गंभीर नहीं होते हैं। अपनी इसी सोच के साथ उन्होंने छोटे-छोटे प्रयासों के ज़रिए अपने काम को निरंतरता दी।
हर दिन 5 टन कचरा हो रहा साफ
प्रदीप की इस मुहिम की शुरुआत भले ही अकेले हुई लेकिन धीरे-धीरे ज़्यादा लोग उनसे जुड़ने लगे और कचरा भी ज्यादा जमा होने लगा। फिर उन्होंने इसे रखने के लिए स्टोर्स की व्यवस्था की और समय के साथ उन्हें स्थानीय प्रसाशन का साथ भी मिला, जो उनकी मुहिम को गति दे रहा है।
प्रदीप ने कोविड लॉकडाउन के समय का सही उपयोग करते हुए शिमला, कुल्लू, किन्नौर, स्पीति में वेस्ट कलेक्शन सेंटर्स या Material Recovery Facilities को शुरू किया। इन सेंटर्स के ज़रिए वे हर रोज़ करीब 5 टन कचरा इकट्ठा किया।
जिसके बाद इन कचरों को कंप्रेस कर रीसाइक्लिंग के लिए भेजा जाता था। आज उनके प्रयासों का ही नतीजा है कि हिमाचल का 95% कचरा डंपिंग साइट की बजाय Recycling के लिए भेजा जाता है। प्रदीप की ये पहल कई लोगों को प्रेरित तो कर ही रही है साथ ही ये भी सीख देती है कि शुरुआत के लिए एक व्यक्ति ही काफी है।
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