अमेरिकी अंतरिक्ष संस्थार नासा (NASA) ने 50 सालों बाद अपने मून मिशन की घोषणा की है। 2 अप्रैल को नासा ने इस मिशन की घोषणा की थी। बता दें कि 50 साल बाद चार अंतरिक्ष यात्री चांद पर जाएंगे। इस बार दिलचस्प बात यह है कि इनमें एक महिला भी शामिल होंगी। ऐसा पहली बार होगा कि नासा के इस मिशम में कोई महिला के साथ ही एक अश्वेत अंतरिक्ष यात्री को भी मौका मिल रहा है।
मून मिशन पर जाने वाली पहली महिला
नासा के अनुसार चार अंतरिक्ष यात्रियों में क्रिस्टीना कोच पहली ऐसी महिला हैं, जो चांद के करीब तक जाएंगी। इस मून मिशन के अंतर्गत जाने वाले यात्री चांद पर उतर नहीं पाएंगे। हालांकि यह मिशन आने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बेहद मददगार साबित होगा। नासा के इस मून मिशन की मदद से भविष्य में जाने वाले यात्रियों की लैंडिंग का रास्ता् खोजना आसान होगा।
ऐसा कहा जा रहा है कि नासा का यह मिशन साल 2024 के आखिरी में या फिर साल 2025 की शुरुआत में लॉन्चा हो सकता है। इस ऐतिहासिक मिशन में शामिल पहली महिला और पहले अश्वेत अंतरिक्ष यात्री रीड विस्मैन और जेरेमी हैनसेन के साथ मून के पास तक जाएंगे। बता दें कि इससे पहले केवल पुरुष अंतरिक्ष यात्री ही चंद्रमा की कक्षा या फिर सतह तक पहुंच सके थे। पहली बार ऐसा हो रहा है कि महिला अंतरिक्ष यात्री भी चंद्रमा की कक्षा तक पहुंच सकेंगी।
1972 में लॉन्च हुआ था नासा का मिशन
ह्यूस्टन, टेक्सास में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान नासा ने चारों अंतरिक्ष यात्रियों को सबके सामने लाया था। साथ ही इस मिशन की जानकारी भी साझा की थी। नासा के अनुसार मून मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्रियों में तीन यात्री अमेरिकी नागरिक हैं तो एक कनाडा के भी हैं। मिशन के लिए खुद को तैयार करने के लिए ये अंतरिक्ष यात्री अब कठिन ट्रेनिंग की शुरुआत कर रहे हैं। नासा ने इससे पहले 1972 में अपोलो मिशन लॉन्च किया था। इसके बाद दोबारा कोई इंसान चांद पर नहीं गया है।