Subhash Chandra Bose: 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में जन्में ‘सुभाष चंद्र बोस’ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वे मील का पत्थर थे जिन्होंने राष्ट्रीय एकता की मिसाल कायम की। सुभाष चंद्र बोस को अपने जीवनकाल में एक संप्रभु भारत को देखने का उत्साह और जुनून था, यही वजह थी कि उन्होंने देश के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया। देश की युवा शक्ति और महिलाओं की ताकत को समझने का काम इन्होंने किया। उनमें संगठन के नेतृत्व की विलक्षण प्रतिभा थी, इसीलिए एडोल्फ हिटलर ने उन्हें नेताजी कहा था। साल 2023 में देश महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती मना रहा है। मोदी सरकार के दौरान उनके जन्मदिन को पराक्रम दिवस(Parakram Diwas) के रूप में मनाए जाने का फैसला किया गया था। जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें....
सिविल सर्विस की कठिन परीक्षा पास की
तब भारतीयों के लिए सिविल सेवा में जाना काफी कठिन था। साथ ही भारतीयों के लिए कई तरह के नियम कानून भी थे। लेकिन सुभाष चंद्र बोस ने 1920 में अंग्रेजों के बनाए नियमों के साथ सिविल सेवा की परीक्षा दी और चौथा स्थान भी हासिल किया। पर साल 1921 में उन्होंने अंग्रेजों के विरोध में इस्तीफा दे दिया।
पहली बार फहराया स्वतंत्रता का झंडा
नेताजी हर हाल में भारत के लिए पूर्ण स्वतंत्रता चाहते थे। उन्होंने 40 हजार भारतीयों भारतीयों के साथ मिलकर 1943 में ‘आजाद हिन्द फ़ौज’ का गठन किया। उन्होंने म्यांमार बॉर्डर से अंग्रेजों के खिलाफ अपनी लड़ाई शुरू की और अंडमान निकोबार द्वीप पर पहली बार स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया। इसके बाद सुभाष चंद्र बोस अपनी फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को बर्मा पहुंचे। जहां उन्होंने नारा दिया 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।'
ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जारी रखा आंदोलन
1921 से 1941 के दौरान पूर्ण स्वराज की मांग के लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। उनका विचार था कि अहिंसा के जरिए स्वतंत्रता नहीं पाई जा सकती। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सोवियत संघ, नाजी जर्मनी, जापान जैसे देशों की यात्रा की और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सहयोग की मांग की।
एन इंडियन पिलिग्रिम (An Indian Pilgrim)
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आत्मकथा है ‘एन इंडियन पिलिग्रिम’ उन्होंने साल 1937 में अपने यूरोप दौरे के समय यह किताब लिखी थी। इस किताब में नेताजी ने अपने राजनीतिक विचारों का जिक्र किया है। किताब के अनुसार वे हर स्थिति में भारत की पूर्ण स्वतंत्रता चाहते थे। इस किताब के अलावा नेताजी ने ‘द इंडियन स्ट्रगल’, ‘हिज मजेस्ट्रीज अपोनेंट’ जैसी किताबें लिखी हैं।
नेताजी के विचार
सुभाष चंद्र बोस के ये विचार उनकी एक किताब का अंश है “एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा : सच्चाई , कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है। अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने ह्रदय में समाहित कर लो।”
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