बिजी शेड्यूल, भागदौड़ भरी जिंदगी और रोजाना की आपाधापी में कई बार हम मेंटल स्ट्रेस से गुजरते हैं। हम ये भूल जाते हैं कि हमारी जिंदगी को आराम की भी जरूरत है। मी –टाइम के बारे में बात करने पर लोग अक्सर समय को दोष देते हैं कि काम का बोझ इतना ज्यादा हैं कि समय नहीं मिलता है। पर इस तरफ ध्यान देना बेहद जरूरी है कि अगर लाइफ और वर्क बैलेंस नहीं होगा तो हम अपने हेल्थ से जुड़ी परेशानियों का सामना कर सकते हैं। इस लेख के जरिए हम आपको बता रहे हैं कि कैसे आप लाइफ और वर्क बैलेंस कर अपनी जिंदगी में थोड़े बदलाव ला सकते हैं...
थोड़ा ठहरें और विचार करें
खुद से यह सवाल करना बेहद महत्वपूर्ण है कि ऐसा कौन सा काम है जो मुझे तनाव महसूस करवाता है। ऐसा क्या है जिससे आपका काम और आपकी जिंदगी प्रभावित होती है। इससे आपके व्यक्तिगत जीवन पर क्या असर पड़ रहा है? एक बार जरूर सोचें कि कहीं आप उन चीजों को तो प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं जो आपके लिए कम महत्वपूर्ण है। इसलिए थोड़ा रूककर विचार करें कि आपके लिए क्या जरूरी है और क्या नहीं।
अपनी फीलिंग्स का रखें ख्याल
इस बात को समझना बेहद जरूरी है कि फिलहाल आप किस मानसिक स्थिति से गुजर रहे हैं। कभी-कभी वर्कप्लेस पर काम से ज्यादा फीलिंग्स को महत्व देना नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए हमेशा काम और फीलिंग्स को अलग रखें। वहीं इस बात को भी समझना जरूरी है कि किसी काम से आपकी फीलिंग्स तो हर्ट नहीं हो रही हैं। समझें की वर्तमान स्थिति से आप कितना खुश हैं? संतुष्ट हैं या नहीं? क्या आप ऊर्जा महसूस कर रहे हैं या नहीं।
हताशा से बेहतर विकल्प के बारे में करें विचार
अपने जीवन के उन पहलुओं के बारे में सोचें जो आपकी प्राथमिकताओं के साथ-साथ काम करती है। क्या आपके जॉब या वर्कप्लेस में कुछ ऐसा है जिसमें आप बदलाव चाहते हैं। कितना समय आप अपने परिवार को दे सकते हैं या कितना समय अपने शौक पूरे करने में लगाना चाहते हैं? इन सभी बातों का ख्याल रखकर कुछ बदलाव कर सकते हैं।
प्राथमिकताओं को दें महत्व
खुद से सवाल करें कि आपकी प्राथमिकता क्या है। किन कामों को करने से आप संतुष्ट और खुश रहते हैं। तब आप संभावनाओं को देख सकेंगे। निराशा तब हो सकती है जब आप अपनी प्राथमिकताओं को जनाकर नजरअंदाज करेंगे।
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