भाषा विज्ञान की मांग आजकल तेजी से बढ़ी है। ग्लोबलाइजेशन के दौर में अलग-अलग भाषाओं के जानकारों की मांग भी बढ़ी है। इसीलिए यूजीसी भी लगातार शिक्षा के क्षेत्र में लगातार बदलाव कर रही है। इसी क्रम में अब यूजीसी ने एक नया फैसला लिया है, जिसके अनुसार नए सत्र से छात्र ग्रेजुएशन की पढ़ाई हिंदी व इंग्लिश के अलावा कई दूसरी भाषाओं में कर सकेंगे।
छात्रों को शैक्षणिक सत्र 2023-24 से बीए, बीएससी, बीकॉम कोर्स करने के लिए भाषाओं के चुनाव का ऑप्शन मिलेगा। वहीं, नए सत्र से छात्रों को मल्टीपल एंट्री एग्जिट की सुविधा भी दी जाएगी। 4 साल के अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम के दौरान छात्र एक वर्ष का कोर्स करके सर्टिफिकेट भी ले सकते हैं। दो वर्ष करके डिप्लोमा और तीन वर्ष की पढ़ाई पूरी करने वाले छात्रों को ये डिग्री दी जाएगी। वही साथ ही यह विद्यार्थी पर निर्भर करेगा कि वह तीसरे साल में प्रोग्राम को एग्जिट करता है या फिर चार साल में पूरा करेगा।
यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन के चेयरमैन प्रो. एम जगदीश कुमार ने बताया कि अगले शैक्षणिक सत्र से लैंग्वेज मिडियम चुनने के लिए कई विकल्प दिए जाएंगे।
छात्र बीए, बीकॉम और बीएससी की पढ़ाई हिंदी व अंग्रेजी सहित अन्य भारतीय भाषाओं में पूरा कर सकते हैं। प्रो. कुमार ने बताया कि यूजीसी ने किताबों को भारतीय भाषाओं में अनुवाद के लिए प्रकाशकों से भी चर्चा की गई हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत पुस्तकों का अनुवाद हिंदी, गुजराती, असमिया, कन्नड़, बंगाली, पंजाबी, मलयालम, मराठी, उड़िया, उर्दू, तमिल, तेलगू भाषाओं में करने का काम हो रहा है।
डिजिटल फॉर्मेट में मिल सकेंगी किताबें
यूजीसी ने यह भी कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत इंजीनियरिंग के बाद दूसरे ग्रेजुएशन प्रोग्राम के छात्र-छात्राओं को भी भारतीय भाषाओं में पढ़ाई का मौका दिया जाएगा। यूजीसी नोडल एजेंसी के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाएगी। वहीं भारतीय लेखक भी नॉन टेक्निकल विषयों पर भारतीय भाषाओं में किताबें लिखने के लिए प्रेरित होंगे। यूजीसी टेक्स्ट बुक्स की पहचान, अनुवाद उपकरण और संपादन के लिए विशेषज्ञों के संबंध में सभी जरूरी सहायता और समर्थन देगा। इसका उद्देश्य पुस्तकों को डिजिटल फॉर्मेट में कम कीमत में उपलब्ध कराना है।