नए जमाने की ये फसलें किसानों को दे रही है आर्थिक मजबूती, जानें कौन सी हैं ये फसलें जिन्हें विदेशों में भी किया जाता है पसंद



आज के दौर में खेती-किसानी भी किसी व्यवसाय से कम नहीं है। किसानों ने नई तकनीक के इस्तेमाल से कृषि को क्षेत्र को आर्थिक मजबूती दी है। आज किसान कृषि की नई तकनीकों की मदद से खेती को व्यवसाय का रूप दे चुका है। यही वजह है कि देश ही नहीं विदेशों में भी कुछ भारतीय उत्पाद काफी पसंद किए जाते हैं। कुछ कृषि एक्सर्ट्स तो यह भी बताते हैं कि अगर किसाने के पास सिर्फ 1 एकड़ की खेती है तब भी वे नए जमाने के कुछ कृषि उत्पादों को उगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इनकी देश-विदेश में भारी डिमांड भी है। आइए जानते हैं इन फसलों के बारे में..

केसर

दुनिया की सबसे महंगी फसलों में शामिल है केसर, इसकी डिमांड काफी रहती है। वहीं इसका प्रोडक्शन भी काफी कम होता है। यही वजह है कि 75,000 केसर के फूलों से सिर्फ 500 ग्राम केसर ही मिल पाता है। पर खास बात ये है कि केसर को कम जगह में भी उगाकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। इसके लिए पहाड़ी या सर्द इलाका का होना जरूरी नहीं है, बल्कि पॉलीहाउस या एक छोटे से कमरे में भी तकनीकों की सहायता से केसर उगाया जा सकता है। इसका उदाहरण हैं हरियाणा के दो युवा, जिन्होंने अपने घर पर लैब बनाकर केसर की खेती से सालाना 10-12 लाख का मुनाफा कमाया है।दुनियाभर में केसर की मांग है और ये मसाला कभी खराब नहीं होता वहीं इसकी स्टोरेज और बिक्री भी आसानी से होती है।

मशरूम की खेती

दूसरी सब्जियों की अपेक्षा मशरूम आसानी से उगाई जा सकती है। इसे ही कैश क्रॉप भी कहा जाता है। क्योंकि इसके लिए खेत-खलिहानों की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि एक कमरे, झोंपडी या शेड डालकर भी इसे उगाया जा सकता है। शहरों में इसकी काफी डिमांड होती है। वहीं इससे आसानी से मुनाफा भी कमाया जा सकता है। मशरूम को उगने में सिर्फ 5 हफ्तों का समय लगता है। वहीं जब मार्केटिंग का समय आता है तो ये फसल हाथों-हाथ बिकती है। मशरूम की 
कई वैरायटी भी मिलती है, जिनमें औषधीय गुण होते हैं। जिन किसानों के पास सिर्फ 1 से 2 एकड़ की जमीन है वे मशरूम की खेती कर कम समय में अच्छा मुनाफा ले सकते हैं। साथ ही दूसरी सब्जियां भी उगाई जा सकती है।

लैवेंडर

एक कनाल खेत में लैवेंडर उगाकर 15,000 रुपये की कमाई की जा सकती है। यानी कि एक एकड़ से 1,20,000 तक का फायदा। लैवेंडर की खेती को बढ़ावा देने के लिए अरोमा मिशन भी सरकार चला रही है। लैवेंडर की खुशबू और इसमें मौजूद औषधीय गुणों के चलते लैवेंडर की काफी मांग की जा रही है। रोजाना इस्तेमाल होने वाली चीजों तक में लैवेंडर का उपयोग किया जा रहा है। लैवेंडर की कमर्शियल या कांट्रेक्ट फार्मिंग करके मार्केटिंग की परेशानी को भी खत्म किया जा सकता है। यानी कि अगर आपके पास एक एकड़ या उससे भी छोटी जमीन है तो आप सब्सिडी के साथ लैवेंडर की खेती कर सकते हैं।

माइक्रो ग्रीन्स

माइक्रो ग्रीन्स की विदेशों में काफी डिमांड है। भारत में भी ज्यादातर खिलाड़ी और सेलेब्रिटीज अच्छी सेहत के लिए माइक्रो ग्रीन्स का खाने में उपयोग करते हैं। माइक्रो ग्रीन्स हमारे शरीर में सभी न्यूट्रिएंट्स की पूर्ती करता है। यही वजह है कि माइक्रो ग्रीन्स का बाजार बिल्कुल सेट है।

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Dr. Kirti Sisodhia

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