TATA Group Chairperson N Chandrasekaran: टाटा समूह की कमान संभालने वाले एन चंद्रशेखरन की कहानी काफी दिलचस्प है। वे आने वाले पांच सालों तक टाटा ग्रुप की कमान अपने हाथ में रखेंगे। उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए काफी मेहनत की है। लेकिन सफलता के इस शिखर पर पहुंचने के लिए उनकी मेहनत और लगन के बारे हर कोई जानना चाहता है। चलिए आपको बताते हैं कि एक इंटर्न से दिग्गज कंपनी के टॉप पोजिशन पर पहुंचने वाले चंद्रशेखरन की कैसी रही जर्नी।
तीन दशक से कर रहे हैं टाटा ग्रुप के साथ काम
चंद्रशेखरन के करीबी लोग उन्हें ‘‘चंद्रा’’ कहकर पुकारते हैं। एन चंद्रशेखरन पिछले 35 सालों से टाटा समूह से जुड़े हैं। कंपनी के प्रति वे काफी समर्पित हैं। डेढ़ सौ साल पुरानी कंपनी के वे पहले गैर पारसी प्रमुख हैं। साल 2017 में उन्हें पहली बार सायरस मिस्त्री के स्थान पर टाटा समूह का प्रमुख नियुक्त किया गया है।
भारत से ही हुई है एन चंद्रशेखरन की शिक्षा
जून 1963 में जन्में नटराजन चंद्रशेखर का संबंध तमिलनाडु से है। वे नमक्कल जिले के मोहानूर गांव से हैं। उन्होंने अपने गांव के स्थानीय सरकारी स्कूल से ही अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की है। वे अपने बड़े भाइयों के साथ पढ़ने जाया करते थे। चंद्रशेखरन की शुरुआती शिक्षा तमिल माध्यम से पूरी हुई है। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कोयंबटूर के इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से स्नातक और रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज तिरुचिरापल्ली से कंप्यूटर एप्लीकेशन में मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की है।
इंटर्न के तौर पर ज्वाइन की थी कंपनी
चंद्रशेखरन ने बिजनेस की पढ़ाई आईआईएम कोलकाता से पूरी की है। 1986 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के एक साल बाद चंद्रशेखर टाटा समूह के साथ बतौर इंटर्न जुड़े थे। समय के साथ उन्होंन विभिन्न जिम्मेदारियां पूरी की और शीर्ष पर पहुंचे।
एक मैराथन रनर भी हैं चंद्रशेखरन
चंद्रशेखरन पद्म भूषण से भी सम्मानित हैं। उन्हें फोटोग्राफी का शौक है और वे संगीत में भी दिलचस्पी रखते हैं। उनके व्यक्तित्व का सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि वे एक लंबी दूरी के धावक भी हैं। उन्होंने दुनियाभर में बहुत सी मैराथन्स में भाग लिया है और वे घंटों तक मीलों दौड़ते रहते हैं। जिससे वे मानसिक रूप से भी काफी मजबूत हैं। उन्होंने दौड़ने के अपने इस शौक को किताब की शक्ल दे दी है। उन्होंने ‘‘रनर्स वर्ल्ड’’ नामके एक किताब भी लिखी है।