कैंसर एक घातक बीमारी होती है। ऐसे में शरीर में कैंसर फैलने से पहले ही उसकी पहचान करने से मरीजों की जान बचाई जा सकती है। इसलिए डॉक्टर्स कैंसर के सबसे आम प्रकारों की रेगुलर जांच कराने की बात कहते हैं। मान लेते हैं, कोलन कैंसर के लिए कोलोनोस्कोपी और ब्रेस्ट कैंसर के लिए मैमोग्राम स्क्रीनिंग एक तरीका होता है। लेकिन यह लोगों के लिए महंगे और चुनौतीपूर्ण हैं।
हाल के दिनों में दुनियाभर के हेल्थ एक्सपर्ट्स जांच की एक ऐसी प्रक्रिया को डेवलप करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जिससे एक ही बार में कई प्रकार के कैंसर की जांच हो सके। इसमें सबसे ऊपर मल्टीकैंसर अर्ली डिटेक्शन (MCED) टेस्ट आता है। यह एक सिंगल ब्लड टेस्ट है, जिससे एक साथ कई तरह के कैंसर का पता लगाया जा सकता है।
MCED टेस्ट के बारे में
मनुष्य के शरीर के सभी सेल्स (कोशिकाएं) खत्म होने के बाद खून में DNA को बहाने का काम करते हैं। इनमें कैंसर सेल्स भी मौजूद होते हैं। MCED टेस्ट ब्लड में ट्यूमर सेल्स के DNA को पहचानने का काम करता है। इससे पता चलता है कि मरीज को कैंसर होने का खतरा कितना कम है।
फिलहाल यह तरीका केवल कैंसर की एडवांस स्टेज में ही यूज किया जाता है। डॉक्टर्स इसे ट्यूमर सेल्स के DNA में हो रहे म्यूटेशन्स की जांच के लिए अपनाते हैं। हालांकि लेट स्टेज कैंसर मरीजों के खून में इस DNA की मात्रा ज्यादा होती है, इसलिए इसे MCED से डिटेक्ट करना इजी होता है।
क्लीनिकल ट्रायल जारी
फिलहाल MCED टेस्ट्स विकसित हो रहे हैं। इनके क्लीनिकल ट्रायल भी जारी हैं। किसी भी टेस्ट को फूड एंड ड्रग एसोसिएशन (FDA) से मंजूरी नहीं दी गई है। साल 2021 में बायोटेक कंपनी ग्रेल ने अमेरिका का पहला MCED टेस्ट तैयार किया था। कंपनी की तरफ से यह दावा है कि यह 50 से ज्यादा कैंसर की पहचान एक साथ करता है। इसकी कीमत 949 डॉलर, भारतीय रूपयों में लगभघ 78 हजार रुपए है। अभी सरकार द्वारा MCED टेस्ट्स के इस्तेमाल के लिए गाइडलाइन बनाने का काम कर रही है।
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