बढ़ते व्यावसायीकरण के दौर में अक्सर बाजार में असली-नकली प्रोडक्ट पर बहस छिड़ी होती है। पर अगर बात आपके हेल्थ की हो तो सतर्क होना बेहद जरूरी होता है। हाल के दिनों में खबरों में नकली दवाईयों पर चर्चा बेहद परेशान करने वाला है। ऐसे में केंद्र सरकार की पहल पर अब आप दवाईयों के असली-नकली होने का पता लगा सकेंगे।
इसके लिए सरकार ने एक ऐसी योजना तैयार की है जिससे आपको दवाई के असली या नकली होने का पता तुरंत हो जाएगा। जानते हैं क्या है सरकार की योजना…
“ट्रेक एंड ट्रेस” योजना
सरकार की इस योजना का नाम “ट्रेक एंड ट्रेस” है। जिसे बहुत जल्द केंद्र सरकार जल्द ही लाने की तैयारी में है। इसके लिए दवाई खरीदते वक्त आपको क्यूआर कोर्ड का इस्तेमाल करना पड़ेगा।
इस योजना में आपको क्यूआर कोड के माध्यम से ही दवाओं के असली और नकली होने का पता चल जाएगा। दरअसल दवा के पैकेजिंग लेवल पर बारकोड या फिर क्यूआर कोड प्रिंट होगा, जिसे आप स्कैन करके उस दवा की पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं।
नकली दवाईयों पर सरकार लगाएगी रोकथाम
हाल के दिनों में नकली दवाओं की बिक्री का मामला दिन-प्रतिदिन तेज होती जा रही है। जिससे लोगों के जान को खतरा हो सकता है। लोगों को दवाओं के माध्यम से ड्रग्स दिया जाने का भी मामला सामने आ रहा है।
सरकार ने इसी साल जून में दवाई कंपनियों को अपने प्राथमिक या द्वितीयक पैकेज लेबल पर बारकोड या क्यूआर कोड लगाने के निर्देश दिए थे। जल्द ही सॉफ्टवेयर लागू होने के बाद उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा विकसित एक पोर्टल पर यूनिक ID कोड फीड करके दवा के बारे में सही जानकारी मिल पाएगी।
केंद्र सरकार के इस कदम के बाद 100 रुपये से ज्यादा वाली कीमत की दवा पर जैसे एंटीबायोटिक्स, कार्डिएक, पेन किलर और एंटी-एलर्जी दवा के स्ट्रैप पर क्यूआर (QR) कोड प्रिंट होंगे जिन्हें स्मार्टफोन या किसी भी क्यूआर कोड स्कैनर से स्कैन किया जा सकेगा। यह भी कहा जा रहा है कि क्यूआर कोड प्रिंट करने का आदेश फार्मा कंपनियों को दिया गया है।
QR कोड से असली-नकली की पहचान
मोबाइल फोन में एप स्टोर से कोई क्यूआर कोड स्कैनर डाउनलोड कर लें।
दवा की स्ट्रैप पर तो क्यूआर कोड को खोज लें।
क्यूआर कोड स्कैनर एप से अपने QR कोड को स्कैन करें।
इसके प्रोसेस के लिए फोन में इंटरनेट का होना जरूरी है।
जैसे ही कोड स्कैन होगा आपके फोन की स्क्रीन पर उस दवा की पूरी जानकारी आपको मिल जाएगी।