अक्सर हममें से लगभग हर किसी के साथ ऐसी घटना जरूर हुई होगी कि हमारे आस-पास के लोग शादी-पार्टियों में खाना वेस्ट कर देते हैं। इसके अलावा जरूरत से ज्यादा खाना के बनने पर भी कभी घर में भी खाना वेस्ट होता होगा। पर क्या हम इस बात का जरा भी अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारे खाना वेस्ट करने की यह आदत पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचाता है।
दरअसल भोजन की बर्बादी के अपरिवर्तनीय पर्यावरणीय परिणाम दिखाई देते हैं। इससे ग्रीनहाउस गैसें उत्पन्न होती है।
जब खाना कचरे के डिब्बे में फेंका जाता है और उसे लैंडफिल (कचरा निष्पादन क्षेत्र) में डाल दिया जाता है। जो ज़मीन के अंदर जाकर सड़ने लगता है। इससे मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड और क्लोरोफ्लोरोकार्बन जैसी गैसें पर्यावरण में उत्पन्न होती हैं, जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाती हैं। लैंडफिल में सड़ने वाला भोजन नाइट्रोजन प्रदूषण पैदा करता है, जिससे ज़मीन का उपजाऊपन भी नष्ट होता है।
- कम करें खाने की बर्बादी
- खाने की बर्बादी रोकने के महत्वपूर्ण रासते हैं।
- रीयूज़, रिड्यूस और रिसाइकलिंग।
- खाद्य पदार्थों को दोबारा उपयोग में लाने, उनकी बर्बादी रोकने के साथ ही रिसाइकलिंग पर ध्यान देने पर हम इस समस्या से बच सकते हैं।
- ताजा और ज़रूरी खाद्य पदार्थ ही ख़रीदें
- सीमित बचे हुए खाने के लिए फ्रीज़र का उपयोग करें
- भूखे लोगों को खिला सकते हैं बचा हुआ खाना।
- जानवरों को दे सकते हैं बचा हुआ खाना।
- अक्सर जरूरत के हिसाब से ही खाना बनाए।
- खाद बनाना यानी बचे हुए खानों की कंपोस्टिंग न केवल खाद्य अपशिष्ट को लैंडफिल में प्रवेश करने से रोकता है, बल्कि मिट्टी और पानी की गुणवत्ता को भी सुधारता है।
- कुछ खाद्य अपशिष्टों का उपयोग जैव ईंधन और जैव-उत्पाद बनाने के लिए होता है। जैसे सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा हमारे वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत हैं। अमेरिका जैसे कई देश कुछ खाद्य अपशिष्टों की मदद से जैव ईंधन बनाने का काम कर रहे हैं।
हमारे द्वारा किए उठाए गए छोटे-छोटे कदम दूरगामी परिणाम ला सकते हैं। तो पर्यावरण के प्रति सचेत रहें और खुद से जुड़े लोगों को भी जागरूक करें।