Research: पूरी दुनिया को वेद और आयुर्वेद का ज्ञान भारत ने दिया है। और समय-समय पर यह बात साबित भी हुई है। दरअसल योग और आयुर्वेद में कई सारी ऐसी क्रियाएं हैं। जिनके अभ्यास से आपकी मुश्किल से मुश्किल शारीरिक और मानसिक समस्याएं हल हो सकती हैं। जलनेति (JALA NETI) एक ऐसी ही योगिक क्रिया है। हाल ही में एक स्टडी में कहा गया है कि अगर दिन में कम से कम 2 बार जलनेति (JALA NETI) किया जाता है तो कोरोना के खतरे को कम किया जा सकता है। हाल ही में अमेरिका के Ear, Nose & Throat Journal में एक स्टडी प्रकाशित हुई है। इस रिसर्च के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति दिन में कम से कम दो बार नाक से नमक वाला पानी लेता हैं। तो इससे कोरोना के खतरे को खत्म या कम किया जा सकता है। अमेरिका के आगस्ता यूनिवर्सिटी की एमी बैक्स्टर (Amy Baxter) ने कहा है, कि साइनस को अतिरिक्त हाइड्रेशन देने से यह बेहतर तरीके से काम करता है। बैक्स्टर ने यह भी बताया कि अगर आपकी नाक में गंदगी है। तो जितना ज्यादा इसे आप बाहर निकाल लेंगे। उतना ही आपको फायदा होगा। आप इस जलनेति (JALA NETI) के जरिए गंदगी और वायरस से छुटकारा पा सकेंगे।
इसमें सांस लेने के शरीर का सिस्टम साफ होता है और नाक से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए उपयोगी होता है। जलनेति (JALA NETI) जैसी क्रिया हमारे देश की एक प्राचीन पद्धति है।
कोरोना के खतरे को कम करेगी जलनेति का अभ्यास
अमेरिकी वैज्ञानिकों के अनुसार जलनेति (JALA NETI) क्रिया से नाक और श्वास में होने वाले संक्रमण को दूर किया जा सकता है। इस क्रिया को करने के लिए आप नाक के एक छेद में पानी डालते हैं और दूसरे छेद से उसे निकालने का अभ्यास करते हैं। इस तरह से बार-बार इसे किया जाना फायदेमंद है।
कोरोना में दिन में दो से तीन बार इसे करने से इसका लाभ मिलता है। कोरोना की वजह से ज्यादातर मरीजों को लक्षण के तौर पर बुखार, सूंघने की शक्ति कम हो जाना, जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मरीज सर्दी से भी परेशान रहता है। इन सभी परेशानियों से निजात पाने के लिए जलनेति (JALA NETI) किया जाना चाहिए।
जलनेति का अभ्यास
इसके लिए आप एक लंबी नली वाला तांबे का लोटा लें। उसमें हल्का गर्म पानी और चुटकीभर नमक डाल कर एक स्थान पर बैठ जाएं। फिर दाईं नथुने (नाक की छेद) से पानी को अंदर की तरफ खींचिए और सिर को बाईं ओर झुकाकर बाईं नथुने (नाक की छेद) से पानी को निकाल दीजिए। इस दौरान मुंह से सांस लेते रहें। एकतरफ से प्रक्रिया हो जाए तो इसे दूसरी तरफ से फिर करें।
साइनस - नाक के आसपास चेहरे की हड्डियों के भीतर नम हवा के खाली जगह हैं, जिन्हें 'वायुविवर' या साइनस (sinus) कहा जाता है।
सावधानी – बिना किसी प्रशिक्षक के देख रेख के जलनेति न करें।
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