इंसान चाहे खुश हो, तनाव में हो, वो हर स्थिति में खुद से बात करता है। अपने आप से बात करने का तरीका काफी महत्वपूर्ण है। आप जिस भी तरीके से खुद से बात करते हैं उसको और भी बेहतर कर आप अपनी मानसिक सेहत और व्यक्तित्व के विकास में बड़ा चेंज ला सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय मनोवैज्ञानिकों ने इस बात को माना है कि खुद से बातचीत (सेल्फ टॉक) को प्रैक्टिस से कंट्रोल किया जा सकता है और इससे अच्छे नतीजे लाने में मदद भी होती है।
एक अखबार में छपे रिसर्च में वैज्ञानिकों ने यह कहा है कि अपने से बातचीत का काई भी नियम नहीं है। इसे आलोचना की श्रेणी में भी रखा जा सकता है। खुद से स्वस्थ बातचीत काम में फोकस बढ़ाने, कठिन हालात का सामना करने और
बेहतर समझ बनाकर हमारे विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में मदद करती है। अगर आपकी सेल्फ टॉक नकारात्मक है और आप इसे बदलना चाहते हैं तो लगन और अनुशासन से इसे बदलें यह आपके बहुत काम आएगी।
सेल्फ टॉक को नए सिरे से विकसित करने में खुद की मदद करें। एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक ने अपने शोध में यह कहा है कि लक्ष्य नकारात्मक सेल्फ टॉक को बदलकर इस विचार को मजबूत बनाना है कि आप अच्छे, काबिल और सक्षम हैं। इसका मतलब गलतियों को अनदेखा करना नहीं है।
करें एक मजबूत शुरुआत
आप अपने विचारों के लिए एक सूत्र वाक्य बनाकर रखें जो दिमाग में जड़ें जमाए और नकारात्मक सोंच को खत्म करने में आपकी मदद करे। जैसे कि मैं अच्छे से भी बेहतर हूं और मैं बहुत काबिल हूं। इसे याद रखें और दोहराएं। साथ ही दबाव, तनाव, थकान में इसे याद रखना कठिन तो होगा लेकिन अपने कमरे, घर में कई जगह इसे लिखें, और दोहराएं जिससे नकारात्मक विचार दूर हों। इसके अलावा
• अपना नाम लेकर खुद से बात करने का प्रयास करें।
• किसी समस्या पर दूसरों को सलाह देना आसान होता है। ऐसे में अपना नाम लेकर या खुद को “आप” कहकर खुद से बातचीत करना फायदेमंद होगा।
• प्रकृति के करीब जाएं, चिंताएं छोटी होने लगेंगी।
• ऐसे लोगों से बात करें, जो आपकी बात को अच्छे से सुनें
• समस्या के बारे में दूसरों से बात करने से अच्छा महसूस हो सकता है।