INS Sindhudhvaj: 35 साल अपनी सेवा देने का बाद आईएनएस सिंधुध्वज अब रिटायर हो गया। 16 जुलाई को इसे भारतीय नौसेना ने बिदाई दी और अलविदा कहा। विदाई के इस समारोह में पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल बिस्वजीत दासगुप्ता मुख्य रूप से शामिल हुए। इस डीकमीशनिंग कार्यक्रम में कोमोडोर एसपी सिंह (सेवानिवृत) के साथ 15 पूर्व कमांडिंग ऑफिसर्स, कमिशनिंग सीओ और 26 अनुभवी कमीशनिंग क्रू ने भाग लिया।
INS Sindhudhvaj
इस पनडुब्बी के शिखर पर एक भूरे रंग की नर्स शार्क बनी हुई है। इसके नाम का मतलब है समुद्र में हमारी ध्वजवाहक. जिस प्रकार इसके नाम से ही इस बात का पता चलता है, सिंधुध्वज स्वदेशीकरण की ध्वजवाहक थी साथ ही नौसेना में अपनी पूरी यात्रा के दौरान रूस निर्मित सिंधुघोष श्रेणी की पनडुब्बियों में आत्मनिर्भरता लाने के लिए भारतीय नौसेना के प्रयासों से प्रेरित ध्वजवाहक थी।
क्यों खास है INS Sindhudhvaj
• हमारे स्वदेशी सोनार यूएसएचयूएस, स्वदेशी उपग्रह संचार प्रणाली रुकमणी और एमएमएस, जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली और स्वदेशी टॉरपीडो फायर कंट्रोल सिस्टम का परिचालन इसी INS Sindhudhvaj पर ही हुआ था।
• सिंधुध्वज ने डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू वेसल के साथ मेटिंग और कार्मिक स्थानांतरण का काम भी सफलता से किया।
• यह इकलौती पनडुब्बी है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इनोवेशन के लिए CNS रोलिंग ट्रॉफी से सम्मानित किया गया था।
सूर्यास्त के समय आईएनएस सिंधुध्वज के विदाई दी गई। तब आसमान के नीले रंगों ने इसकी गरिमा को और भी बढ़ा दिया। इसमें से सम्मानपूर्व डीकमिशनिंग ध्वज को उतारा गया और 35 साल की शानदार गश्त के बाद इस पनडुब्बी को सेवामुक्त किया गया।