1 जुलाई से भारत सिंगल यूज प्लास्टिक को बंद कर देगा। पर्यावरण की सुरक्षा की तरफ उठाया जा रहा ये सबसे अहम कदम है। जो कि जरूरी भी था। क्योंकि पिछले दो दशक से बढ़ते शहरीकरण, प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधनों के अति उपयोग से हमारी पृथ्वी का हाल बुरा हुआ जा रहा है। जिसे अब संरक्षण की जरूरत है। अगर आने वाले दिनों में हमने पर्यावरण को लिए कुछ नहीं किया तो हमारे जीवन पर भी प्रश्नचिन्ह लग सकता है। लेकिन हम सब मिलकर पर्यावरण प्रदूषण को रोक सकते हैं। और इसकी शरूआत हमें अपने घर से ही करनी होगी। अपनी रोजाना की दिनचर्या में कुछ आदतों को शामिल कर हम पर्यावरण की मदद कर सकते हैं…..
प्लास्टिक का कम करें उपयोग
प्लास्टिक हमारे पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। हम अगर ये तय कर लें कि अपनी दिनचर्या में प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे तो हम कुछ हद तक प्लास्टिक के उपयोग को रोक सकेंगे। घर से निकलते वक्त एक कपड़े का थैला पास रखें जिससे कुछ खरीदते वक्त प्लास्टिक बैग का उपयोग न हो।
इसके अलावा पैकेट वाली किसी भी चीज को ध्यान से काटें उसे दो भागों में न काटकर एक ही भाग में काटें।
रीसायकल की आदत डालें
कपड़ों से लेकर हर उस चीज को दोबारा यूज करने की आदते डाल लें जिसे कई रिसाइकल किया जा सकता है। बार-बार, महज़ शौक के चलते गैजेट या अप्लायंसेस को बदलें न, ख़राब उपकरणों को बदलकर ही नया ख़रीदें ताकि रीसायक्लिंग की तरफ लोगों का ध्यान जाए। रिसाइकल को लेकर लोगों को जागरूक करें।
भोजन को वेस्ट न करें
तली-भुनी चीजें मिट्टी की उर्वरा शक्ति नुकसान पहुंचाती है। लैंडफिल साइट्स यानी कि वो स्थान जहां कचरा फेंका जाता है, वहां खाना सड़कर मीथेन गैस पैदा करती है। जो कार्बन डाइऑकसाइड से लगभग 28 गुना ज़्यादा तेज़ है। जो मनुष्यों और पशुओं के साथ-साथ पर्यावरण को भी हानि पहुंचाता है। वहीं रिपोर्ट के अनुसार हर साल दुनिया में जितने अनाज का उत्पादन होता है उसका एक तिहाई वेस्ट हो जाता है। खाने की यह बर्बादी जलवायु परिवर्तन के लिए भी ज़िम्मेदार है।
इसके अलावा ईंधन के उपयोग को कम करें। वो जगह जहां सायकल या पैदल पहुंचा जा सकता है वहां गाड़ियों का इस्तेमाल न करें।
बिजली की जरूरत न होने पर उपयोग न करें, ऊर्जा की बचत करें।
Also Read: Stores will refuse plastic straws from July