मानसिक रूप से प्रोत्साहित करने के तरीकों में गले लगाना, हाथ थामना और दुलारना शामिल हैं। ये सभी हमारे भावनात्मक सुख और स्वस्थ विकास के लिए बेहद जरूरी होते हैं। लोग अब तक ये नहीं जानते थे कि इस तरह के स्पर्श से सुखद अनुभूति आखिर क्यों मिलती है। लेकिन हाल ही में वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने एक सर्किट को पहचाना है। जो कि त्वचा से दिमाग तक ‘सुखद स्पर्श’ यानी के स्पेशल टच के रूप में पहचाने जाने वाले एहसास को भेजता है।
खास होता है स्पर्श का महत्व
जिंदगी के हर स्टेज में स्पर्श का खास महत्व होता है। शोधकर्ताओं के अनुसार एक न्यूरोपैप्टाइड भी खोजा गया है। यह कोशिकाओं (सेल्स) के बीच मैसेजेस को भेजने के काम आता है। यह केमिकल मैसेंजर ‘सुखद स्पर्श’ एहसास को संचारित करता है। रिसर्च को लीड करने वाले वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के डॉ. झोउ-फेंग चेन के एक अखबार में छपे इंटरव्यू के मुताबिक, सभी स्तनधारियों में सुखद स्पर्श का एहसास बहुत ही जरूरी होता है।
बच्चों के पालन-पोषण का सबसे महत्वपूर्ण तरीका भी स्पर्श ही है। मरते हुए व्यक्ति का हाथ थामना बहुत सशक्त और दिलासा देने वाला साबित होता है। जानवर टच के माध्यम से ही एक-दूसरे की देखरेख करते हैं। इंसान गले मिलकर और हाथ मिलाकर खुद को अभिव्यक्त करते हैं। यही कारण है कि मसाज थेरेपी दर्द और तनाव को कम करती है और मानसिक विकारों वाले मरीजों को फायदा पहुंचाती है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रोकिनेक्टिकिन-2 नाम के न्यूरोपैप्टाइड के बिना चूहों का प्रजनन कराया गया, तो वे सुखद स्पर्श के संकेतों को महसूस नहीं कर पाए। लेकिन खुजली पर सामान्य प्रतिक्रिया देते रहे ।
बच्चे के सही विकास में मां का स्पर्श जरूरी
जर्नल साइंस में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार यह भी पाया कि जन्म से सुखद स्पर्श संवेदना की कमी वाले चूहे गंभीर तनाव में थे। यह खोज बताती है कि संतान के विकास में मां के स्पर्श का महत्व कितना होता है। इसीलिए मादा जानवर अपने बच्चे को चाटना पसंद करती है। इससे तनाव से मुक्ति मिलती है|