समय के चक्र में हर चीज अपना स्वरूप बदलती है। बदलाव ही प्रकृति का नियम है। लेकिन इसी प्रकृति ने एक रिश्ते को सभी बदलावों से परे रखा है। वो है माता-पिता से उनके बच्चों का रिश्ता।
माता-पिता के साथ हर दिन उत्सव सा होता है। 2 November 1936 का दिन किसी उत्सव से कम नहीं था, क्योंकि इस दिन एक ऐसे शख्स ने इस पृथ्वी पर जन्म लिया जो मेरे अस्तित्व की वजह बनें। वीरेंद्र सिंह चौहान (Mere Papa), वो शख्सियत, जिन्होंने अपनी जिंदगी को ईमानदारी, मेहनत और परोपकार की पराकाष्ठा तक जिया। हमें जीवन की सीख, प्यार और अनुशासन तोहफे में दिए। भौतिक रूप से वो हमारे साथ तकरीबन 1 साल से नहीं है, लेकिन यकीन मानिए उनके जाने का अहसास ही नहीं होता। सुबह ध्यान की शुरूआत से रात के सोने तक वो मानों साथ ही रहते हों। शायद ये एक पिता के प्यार की ताकत है, जो अपने बच्चों को उनके भौतिक रूप से नहीं रहने पर भी संबल देता है।
इन 365 दिनों में उनको याद कर हर रोज़ आंखें नम हुई, लेकिन जब भी दिल दर्द से भरा “सब ठीक हो जाएगा” उनका जाना पहचाना वाक्य सुनाई दिया। मानो वो साथ ही है, और दिलासा दे रहे हैं। किसी का साथ न रहकर भी साथ रहना ये Mere Papa ने इन दिनों सिखाया।
जब उनके होने का अहसास हमेशा आस-पास रहता है तो तकलीफ थोड़ी देर के लिए कम हो जाती है। वो यहीं हैं, हम सबके साथ हैं। जो लोग दिल में रहते हैं वो कहीं नहीं जाते हैं। आज उनके भौतिक स्वरूप के बिना Father’s Day पर उनसे यही वादा है, कि उन्होंने जो सपने हम बच्चों के लिए देखे थे, जहां वो हमें देखना चाहते हैं। एक इंसान के तौर पर और अपनी Professional life में उन्हें पूरी ताकत से पूरा कर उन्हें गौरान्वित करना है। शायद फिर हम उनके प्यार और समर्पण का एक छोटा हिस्सा एक खुशी के रूप में उन्हें दे पाएंगे।
Happy Father’s Day Papa