ब्रिटेन 2050 तक ग्रीन हाउस गैसों के एमिएशन को शून्य करने के लक्ष्य पर काम कर रहा है। जिसके लिए वह अंतरिक्ष पर सोलर पावर स्टेशन बनाने की योजना बना रहा है। इस काम को पूरा करने के लिए ब्रिटेन ने 2034 तक का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए ब्रिटेन एयरबस, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी समेत 50 ब्रिटिश तकनीकी संगठनों के साथ मिलकर काम करेगा।
ब्रिटेन के इस प्रोजेक्ट के पीछे का उद्देश्य मौजूदा टेक्नोलॉजी की तुलना में न्यूनतम लागत में जीरो ग्रीनहाउस गैस एमिशन के टारगेट को प्राप्त करना है। इस पहल के चेयरमैन मार्टिन सोल्टौ ने कहा है कि- अंतरिक्ष में सोलर पावर स्टेशन विकसित करने के लिए सभी जरूरी तकनीकें पहले से मौजूद हैं।
रोबोट करेगा प्लांट का काम
अंतरिक्ष पर बनने वाले इस अनूठे प्लांट को बनाने का पूरा काम रोबोट के माध्यम से किया जाएगा। ब्रिटेन का लक्ष्य 2035 की शुरुआत में ही पृथ्वी पर बिजली पहुंचाना होगा। यह पावर प्लांट कई मील लंबा होगा। इसे अंतरिक्ष की कक्षा तक पहुंचाने के लिए स्पेसएक्स के स्टारशिप के आकार के 300 रॉकेट की जरूरत पड़ सकती है।
एक बार स्थापित होने के बाद यह सूर्य के साथ-साथ पृथ्वी का लगातार 36,000 किलोमीटर का चक्कर लगाएगा। यह प्लांट धरती पर काम करने वाले सोलर पावर प्लांट की तरह ही सोलर एनर्जी को एकत्रित करेगा।
सभी मौसम में काम करेगा प्लांट
यह सोलर पावर प्लांट पुथ्वी के मुकाबले 13 गुना अधिक बिजली बनाएगा। इसकी खास बात यह है कि यह प्लांट सभी मौसम में काम करेगा। क्योंकि अंतरिक्ष प्लांट पर सूरज हमेशा चमकता रहेगा। धरती पर रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़े प्लांट अक्सर इस तरह की परेशानी का सामना करते हैं क्योंकि सूरज हमेशा चमकता नहीं है और हवा हर समय लगातार नहीं चलती है।
ऐसे पावर प्लांट को ऊर्जा की हानि से बचने के लिए बैटरी स्टोरेज पर डिपेंडेंट रहना पड़ता है। वर्तमान में ब्रिटेन अपनी बिजली जरूरत का 40% से अधिक रिन्यूएबल एनर्जी से हासिल करता है, लेकिन अगले तीन दशक में रिन्यूएबल एनर्जी की मांग तीन गुना हो सकती है।
एंटीना माइक्रोवेव रेडिएशन को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में कनवर्ट करेंगे
अंतरिक्ष से सोलर ऊर्जा को धरती पर लाने के लिए धरती पर एक बड़ा एंटीना लगाया जाएगा।, जिसे रेक्टेना कहा जाता है। यह रेक्टेना बड़ी खुली जाली के जैसा होगा, जिसमें कई छोटे एंटीना लगे होंगे। ये एंटीना अंतरिक्ष से भेजी गई माइक्रोवेव रेडिएशन को अवशोषित करेंगे और इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदल देंगे। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस रेडिएशन से लोगों को किसी तरह का कोई खतरा नहीं होगा।