खाने के तेल अब सस्ते हो सकते हैं। इसके लिए सरकार कदम उठाने की तैयारी में है। दरअसल बढ़ती महंगाई की वजह से आम आदमी पर बोझ बढ़ता ही जा रही है। जिससे अब सरकार राहत दे सकती है। सरकार कच्चे एडिबल ऑयल के आयात पर लगने वाली इंपोर्ट ट्यूटी (Import Duties) को घटा सकती है। सरकार की योजना है कि कच्चे एडिबल ऑयल पर लगाए जाने वाले दो सेस (Cess) में कटौती की जाए। इसके अलावा सरकार एडिबल ऑयल की वर्तमान इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती को भी 30 सितंबर से आगे बढ़ाने के लिए सोच रही है।
कच्चे एडिबल ऑयल (खाने के तेल) के इंपोर्ट पर अभी 5.5 फीसदी ड्यूटी लागू है। सरकार ने हाल ही में इसे 8.5 फीसदी से घटाकर 5.5 फीसदी किया है। मौजूदा टैक्स स्ट्रक्चर में बेसिक कस्टम ड्यूटी नहीं शामिल है, जो अभी सभी कच्चे एडिबल ऑयल के इंपोर्ट पर जीरो है। इसकी जगह दो सेस लागू है, जिनके नाम- एग्रीकल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट सेस (AIDC) और सोशल वेलफेयर सेस है।
बीते 13 फरवरी को केंद्र सरकार ने एग्रीकल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट सेस (AIDC) को 7.5 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया था। इससे एडबिल ऑयल के इंपोर्ट लागू ड्यूटी 8.25 फीसदी से घटकर 5.5 फीसदी पर आ गई थी। इंपोर्ट ड्यूटी में यह कटौती 30 सितंबर 2022 तक लागू रहेगा।
अक्टूबर 2021 में कच्चे पॉम ऑयल, सोयाबीन ऑयल और सनफ्लावर ऑयल पर लगने वाले सभी इंपोर्ट ड्यूटी को 31 मार्च 2022 तक के लिए रद्द कर दिया गया। जिसके चलते कच्चे पॉम ऑयल पर लागू इंपोर्ट ड्यूटी 24.75 फीसदी से घटकर शून्य हो गई। बता दें कि भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी (वित्त वर्ष 2022 में 9.3 अरब डॉलर) पॉम ऑयल कच्चे रूप में ही खरीदता है।