महान साइंटिस्ट डार्विन की 200 साल पुरानी थ्योरी अब पक्षी विज्ञान को नई दिशा देगी। जिससे नए जीवों से जुड़ी कई जानकारियां मिल पाएंगी। हाल ही में हुए नए रिसर्च से आर्टिफिशिय इंटेलिजेंस ने डार्विन की थ्योरी को सही साबित किया है। जिसके मुताबिक डार्विन ने यह कहा था, कि- भूमध्य रेखा के पास रहने वाले पक्षी ज्यादा रंग-बिरंगे होते हैं। जैसे-जैसे हम ध्रुवों की तरफ आगे बढ़ते हैं, वैसे-वैसे ही उनका रंग फीका या ज्यादा गहरा होने लगता है। इस थ्योरी की सत्यता को अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवसिर्टी के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है।
24,345 पक्षियों पर किया गया रिसर्च
स्टेनफोर्ड यूनिवसिर्टी के बायोसाइंस विभाग के द्वारा यह रिसर्च किया गया है। इसके लिए डॉ चरिस कूने और डॉ गेविन थॉमस ने नेचर हिस्ट्री म्यूजियम में रखे 4,527 प्रजातियों के 24,345 अलग-अलग पक्षियों के नमूनों का अध्ययन किया। जिसमें अलग-अलग स्थिति में पक्षियों की तस्वीर ली गई। और यह पता लगाया गया कि भूमध्य रेखा के पास ध्रुवीय क्षेत्रों के मुकाबले 30% ज्यादा रंग-बिरंगे पक्षी मिलते हैं।
जैव विविधता को समझने में मिलेगी मदद
इस रिसर्च से जैव विविधता को बेहतर ढंग से समझने में मदद होगी। 19वीं शताब्दी में भी वैज्ञानिकों ने पक्षियों से जुड़ी इस बात पर जोर दिया था। जिसे अब एआई ने साबित कर दिया है। पिछले सभी अनुसंधानों में अब तक पक्षियों के आहार संबंधी जानकारी के बारे में ही पता लगाया गया था लेकिन इस रिसर्च से आने वाले समय में जैवविविधता से जुड़े और भी रोचक तथ्य सामने आएंगे। रिसर्च से यह पता लगा है कि भूमध्य रेखा के आसपास के पक्षियों की प्रजातियां रंगीन होती हैं। रिसर्च में यह भी कहा गया है कि मेल पक्षियों के मुकाबले फीमेल पक्षियों में रंगों का यह अंतर ज्यादा स्पष्ट दिखाई देता है।