by admin
Read Time: 2 minuteहमारे देश को आज़ाद हुए 73 साल हो गए हैं और भारत को आज़ादी दिलाने में कई क्रांतिकारियों का अहम योगदान रहा है, जिसमें कई क्रांतिकारियों को आज़ादी की लड़ाई में अपने प्राणों को भी न्यौछावर करना पड़ा। आजादी के लिए चली लंबी जंग में पुरुषों के साथ महिला क्रांतिकारी भी शामिल रही हैं। आज हम बात करेंगे ब्रिटिश शासकों के मन में गहरी आशंका पैदा करने वाली, 'पंजाब की मेस्सालिना (Messalina)', महारानी जींद कौर की।
रानी जींद कौर सिख साम्राज्य के पहले महाराजा रणजीत सिंह की पत्नी और सिख राजवंश के अंतिम महाराजा दलीप सिंह की माँ थीं।
1839 में महाराजा रणजीत सिंह के निधन के बाद, पंजाब का साम्राज्य बिखरने लगा। अंग्रेजों ने जींद कौर के पुत्र, दलीप सिंह से राजगद्दी छीनने का प्रयास किया। उस दौरान महराजा रणजीत सिंह के भरोसेमंद लोगों ने उनसे विश्वासघात कर, अंदर ही अंदर अंग्रेजों से गुटबाजी कर ली थी। शासन पाने के लिए कई हत्याएं व साजिशें भी रची गई।
परन्तु, रानी जींद कौर ने हार नहीं मानी। वो लाहौर दरबार के एक शक्तिशाली गुट को अपने पक्ष में करने में कामयाब रहीं। लाहौर के समर्थन से ही रानी जींद कौर ने 1843 में अपने पुत्र दिलीप सिंह को 5 वर्ष की आयु में ही पंजाब की गद्दी पर बैठा दिया। बेटे की आयु देख, रानी कौर स्वयं ही संरक्षिका बनी। उन्होंने अपने शासनकाल में कई निर्णायक फैसले लिए जिनसे जनता अत्यंत खुश थी। इसी दौरान अंग्रेज़ों की सेना को देख, रानी कौर ने अपने वज़ीर राजा लाल सिंह के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ अपनी सेना को शक्तिशाली बनाने का बीड़ा उठाया। पति की मृत्यु के बाद भी, सेना को फिर से बल देने में कामयाब रहीं।
1845 में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ पहला Anglo-sikh युद्ध शुरू हुआ। युद्ध के दौरान रानी कौर ने अंग्रेजों के विरुद्ध कई ठोस कदम उठाये। रानी अपनी कुशल नीतियों से ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध मोर्चा चलाती रहीं। अंग्रेजों ने रानी कौर के डर से 1848 में उन पर एक अभियोग चलाया, जिसके बाद उन्हें लाहौर से हटा दिया गया। जब द्वितीय Anglo-sikh युद्ध शुरू हुआ तो रानी जींद कौर की अनुपस्थिति में पंजाब कमज़ोर पड़ गया, जिसके चलते पंजाब पर ब्रिटिश सरकार ने कब्ज़ा कर लिया।
जींद कौर एक रानी होने के साथ - साथ एक पत्नी, मां, और एक ऐसी ताकत थी जिन्होंने आक्रमणकारियों से विपरीत परिस्थितियों में भी लड़कर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराया। यही नहीं, रानी जींद कौर के जीवन पर आधारित Rebel Queen नामक एक फिल्म भी बनी, जो 2010 में न्यूयॉर्क के अंतर्राष्ट्रीय सिख फिल्म समारोह में दर्ज हुई थी। रानी जींद कौर के शौर्य और बल को देश सलाम करता है।
Leave a comment
Your email address will not be published. Required fields are marked *